लक्ष्मी रत्न हीरा । Sanjay Dara Singh AstroGem Scientist । असली नकली पहचान व् धारण करने के लाभ ।। Gemstone Series
लक्ष्मी रत्न हीरा
आज के वर्तमान समय में सोने के जेवरों के अलावा हीरे जड़ित जेवरों को भी अधिक प्रचलन हो चुका है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हीरा रत्न शुक्र ग्रह के संदर्भ में पहना जाता है। शुक्र कमजोर होने के कारण वैवाहिक जीवन को पूर्णतः सुख प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न हो सकती है तथा भौतिक सुख सुविधाओं का भी पूर्णतः सुख प्राप्त नहीं हो पाता है। हीरा सकारात्मक ऊर्जा व भौतिक समृद्धि व माता लक्ष्मी का अति प्रिय रत्न माना जाता है जिस कारण माता लक्ष्मी को रत्नप्रिया भी कहा जाता है। लक्ष्मी जी की आरती में कहा गया है कि – तुम बिन रत्न चर्तुदश मैया कोई नहीं पाता, मैया जय लक्ष्मी माता अर्थात लक्ष्मी जी की कृपा के बिना तो रत्न भी किसी के पास नहीं जाता। हीरे पर किसी भी प्रकार के कैमिकल रिएक्शन का प्रभाव नहीं हो पाता। अन्य सभी रत्नों में सबसे हार्ड होने के कारण इस पर खरोंच या घिंसावट इत्यादि का भी प्रभाव नहीं हो पाता। जिस कारण यह अन्य सभी रत्नों में टिकाउ है और यही ही इसकी कीमत व लोकप्रियता अन्य रत्नों में अधिक होने का कारण है। अधिक गुणवत्ता के हीरों का प्रयोग जेवर इत्यादि बनाने में तथा कम गुणवत्ता के हीरों का प्रयोग औघोगिक कार्यों में किया जाता है जिन्हें बाॅर्ट डायमंड के नाम से भी जाना जाता है।
ज्योतिषय संदर्भ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वृष व तुला राशि वालों को यह रत्न धारण करना चाहिये। शुक्र को सुंदरता , ऐश्वर्य तथा कला के साथ जुड़े क्षेत्रों का अधिपति माना जाता है । शुक्र की प्रबल स्थिति जातक को शारीरिक रूप से सुंदर और आकर्षक बनाती है । शुक्र के प्रबल प्रभाव से महिलाएं अति आकर्षक होती हैं । शुक्र के जातक आम तौर पर फैशन जगत , सिनेमा जगत तथा ऐसे ही अन्य क्षेत्रों में सफल होते हैं । शुक्र शारीरिक सुखों के भी कारक हैं । प्रेम संबंधों में शुक्र की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कलात्मक कार्य ,संगीत (गायन , वादन , नृत्य), अभिनय, होटल, रेस्टोरेंट, मैरिज हाॅल, चलचित्र संबंधी, डेकोरेशन, ड्रेस डिजायनिंग, मनोरंजन के साधन, फिल्म उद्योग, वीडियो, पार्लर, मैरिज ब्यूरो, इंटीरियर डेकोरेशन, फैशन डिजाइनिंग, पेंटिंग, श्रृंगार के साधन, कोसमेटिक , इत्र, गिफ्ट हॉउस, चित्रकला तथा स्त्रियों के काम में आने वाले पदार्थ, विवाह से संबंधित कार्य, महिलाओं से संबंधित कार्य, विलासितापूर्ण वस्तु, गाड़ी, वाहन व्यापारी, ट्रांसपोर्ट, सजावटी वस्तुएं, मिठाई संबंधी, रेस्टोरेंट, होटल, खाद्य पदार्थ, श्वेत पदार्थ, दूध से बने पदार्थ, दूध उत्पादन, दही, चावल, धान, गुड़, खाद्य पदार्थ, सोना, चांदी, हीरा ,जौहरी, वस्त्र निर्माता, गारमेंट्स, पशु चिकित्सा, पशुपालन, टूरिज्म, चाय, कॉफी ,रत्न व्यापारी, सोडावाटर फेक्ट्री, शर्बत, फल, तरल पदार्थ इत्यादि
रोगों के संदर्भ में
नैसर्गिक बल, शारीरिक सुख, गुप्तांग संबंधित समस्या, शुक्राणुओं की कमी, शरीर में गांठ, आंतड़ियों व नर्वस सिस्टम कमजोर हो जाना, गुर्दे के रोग, चेहरे के रोग, शूगर, पथरी, गले की बिमारिया, शरीर व ग्रंथियों में जल या पीप भर जाना, किडनी, गठिया, रक्त की कमी, थाॅयराईड इत्यादि।
वैसे तो हीरे की खान कई देशों में है परन्तु भारत की गोलकुंडा खान विश्वभर में सर्वोत्तम गुणवत्ता के हीरों के लिए प्रसिद्ध है, जो कि पश्चिम हैदराबाद से 11 कि.मी. दूर स्थित है। कोहिनूर हीरा भी इसी ही खान की देन है, जो कि विश्व में सर्वोत्तम हीरा माना गया है। जब यह हीरा निकला तब इसका वजन 793 कैरेट यानि 158.6 ग्राम था। वर्तमान समय में इसमें से 186 कैरेट का एक हीरा इंगलैंड की महारानी क्वीन विक्टोरिया के ताज में लगा है तथा दूसरा जिसका वजन 105.206 कैरेट है, इंगलैंड के म्यूजियम में रखा गया है। परन्तु आज से 500 साल पूर्व यह गोलकुंडा की खान प्राॅडक्शन ना होने के कारण बंद हो चुकी है। इस खान की लोकप्रियता के कारण आज भी बहुत सी कंपनियां भारतीय हीरे के नाम से विश्वभर में अन्य खानों से निकले हीरों को बेचकर ग्राहकों के साथ धोखा कर रही है। परन्तु सत्य तो यह है कि आज गोलकुंडा खान के हीरे मिलना दुर्लभ है।
आज साउथ अफ्रीका के किम्बरले खान से निकले हीरे विश्वभर में अपनी पहचान बनाये हुवे हैं। वहां पर हीरे की अत्याधिक प्राॅडक्शन के कारण मानव निर्मित इतना बडा गढडा बन चुका है जिस कारण इसे विश्व में मानव निर्मित सबसे बडे गढडे की संज्ञा दी गयी है। वर्तमान समय में अंगोला, बोस्टवाना, जिम्बाब्वे, तंजानिया, इंडोनेशिया, उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया आदि की खानों से भी हीरे की उत्पादकता होती है।
बाजार में हल्के भूरे, पीले, शैंपेन, लाल, गुलाबी व हरे रंग के हीरे भी उपलब्ध हैं। परन्तु कुछ सफेद रंग के हीरे की कीमत अधिक होती है। हीरे को उसके अधिक चमकीले होने के गुण के कारण भी पहना जाता है। हीरे की कटिंग का उसके अधिक चमकीले होने में बहुत अधिक योगदान है। जो हीरा राउंड ब्रिलिएंट कट में होगा जिसमें कि 57-58 कट लगे होते हैं और यह एक आधुनिक कट है जिसमे कि चमक सबसे ज्यादा होती है। आज से लगभग 70 वर्ष पूर्व बेल्जियम देश हीरे की कटिंग में विश्वविख्यात था परन्तु आज भारत के सूरत जिला विश्व के सर्वाधिक छोटे हीरों की कटाई के लिये जाना जाता है।
कुछ हीरा कारोबारियों ने अधिक मुनाफा कमाने की नियत से नकली हीरे तथा हीरे की तरह दिखने वाले रत्न जैसे कि माॅजोनाईट, सिंथैटिक हीरा, कलरलैस सफायर, क्युबिक जर्कोनिया, सी.वी.डी. आदि को हीरे की जगह पर बेच रही है। हीरे के जेवरों में असली हीरों के साथ साथ नकली हीरों व सिमुलेंटस को भी हीरे के ही रेटों पर बेच कर ग्राहकों के साथ धोखे का कार्य भी जोर शोर से चल रहा है। हीरे में ट्रीटमेंट करके उनको महंगे दामों में बेचने का धंधा भी जोर शोर से चल रहा है।
जिनमें हीरे में क्लीयरेंस बढ़ाने के लिए हीरे में कांच को भरने की तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा ओर भी कई तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। आम ग्राहक को असली सोने की तो पहचान होती नही तो हीरे की पहचान कैसे होगी।
असली हीरे को पहचानने के कुछ तरीके –
1. वजन में हल्का होता है।
2. हीरे की त्वचा पर चिकनाहट तेजी से फैलती है इसी ही कारण से पानी की बूंद तेजी से हीरे पर ठहरी
रहती है।
3. असली हीरे से केवल एक्स किरणें ही गुजर पाती हैं।
4. मोह स्केल पर इसकी हार्डनेस 10 होती है।
5. फलोरोसेंट लाईट में इसका रंग कुछ दुधिया नीला हो जात है।
6. इसकी ग्रैविटी 3.52 होती है।
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