ज्ञान का अपच :- श्री श्री रवि शंकर
ज्ञान का अपच सूक्ष्म अहंकार को बढ़ाता है जिसका कोई इलाज नहीं है। अहंकार ऐसी आदतों को जन्म देता है जो जीवन के विकास के लिए सहायक नहीं। ज्ञान को अच्छी तरह मनन करके, पचा कर, आत्मसात कर लेना आवश्यक है।
ज्ञान के अपच के परिणाम:
उस्ताह में कमी, मान्यता न देना, सजगता की कमी
गहराई व समझ के बिना सतही जानकारी
उपदेश देने की प्रवृत्ति
हृदय में जलन
अपने तुच्छ स्वार्थ के लिए ज्ञान का प्रयोग
हठ
सूक्ष्म अहंकार किसी बुरी आदत को छोड़ने की असमर्थता तुम्हें तकलीफ देती है। जब तुम अपनी आदत से बहुत पीड़ित होते हो, वह व्यथा तुम्हें उस आदत से छुटकारा दिलाती है। जब तुम अपनी कमियों से व्यथा महसूस करते हो, तब तुम साधक हो। पीड़ा तुम्हें आसक्ति से दूर करती है।
जब तुम ईश्वर से प्रेम करते हो तब तुम ज्ञान को पचा सकते हो, ग्रहण कर सकते हो। प्रेम भूख बढ़ाता है, सेवा व्यायाम है; प्रेम और सेवा के बिना ज्ञान अपाच्य हो जाता है।
आपने इस संसार में जिन सेवाओं को प्रेम से किया है, उसकी एक सूची बनाएँ। प्रश्न: प्रेम यदि भूख बढ़ाता है तो मुख्य भोजन क्या है?
श्री श्री: ज्ञान।
प्रश्न: और मिष्टान्न क्या है?
श्री श्री: मैं। (हँसी)
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