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कुंडली में प्रेम विवाह के योग | Yogas For Love Marriage in Vedic Astrology

प्रेम विवाह के योग
Post Date: June 12, 2025

कुंडली में प्रेम विवाह के योग | Yogas For Love Marriage in Vedic Astrology

यदि आप लंबे समय से अपने जीवनसाथी के साथ रिश्ते में हैं और उनसे विवाह करने की इच्छा रखते हैं, या जीवन में प्रेम विवाह करने का सपना देखते हैं, तो यह लेख आपके लिए है। हम सभी जीवन में यह जानने की जिज्ञासा रखते हैं कि हमारा जीवनसाथी कौन होगा और कब हमारी शादी होगी।

कुछ लोग भाग्यशाली होते हैं जिन्हें अपने प्रेमी या प्रेमिका से विवाह करने का अवसर मिलता है, जबकि अन्य को रिश्ते को निभाने और विवाह तक पहुँचाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। भारत में आज भी अधिकतर विवाह “अरेंज मैरिज” के रूप में होते हैं और यह हमारी संस्कृति का एक अहम हिस्सा बन चुका है।

हालांकि, कई बार पारिवारिक असहमति प्रेम विवाह में रुकावट बन जाती है और तब कई प्रेम विवाह टूट भी जाते हैं। कभी-कभी यह कपल के लिए ठीक होता है लेकिन कई बार प्रेम विवाह कुछ वर्षों के भीतर टूट जाते हैं।

इन सभी बातों की जानकारी हम व्यक्ति की कुंडली के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। कुछ विशेष ग्रह स्थितियाँ ऐसी होती हैं जो प्रेम विवाह के योग बनाती हैं, वहीं कुछ स्थितियाँ विवाह टूटने का भी योग देती हैं।

जन्म कुंडली में प्रेम विवाह के लिए महत्त्वपूर्ण ग्रह और भाव

1. शुक्र और गुरु: विवाह के मुख्य कारक ग्रह हैं। शुक्र प्रेम, आकर्षण और विवाह का सूचक है। यदि कुंडली में शुक्र मजबूत स्थिति में हो तो यह प्रेम विवाह का योग बनाता है।

2. चंद्रमा: चंद्रमा मन और भावनाओं का कारक है। यदि चंद्रमा संतुलित स्थिति में हो, तो व्यक्ति की भावना संतुलित रहती हैं और प्रेम की ओर झुकाव होता है। लेकिन अगर चंद्रमा बहुत कमजोर हो, तो भावनात्मक अस्थिरता होती है। वहीं, अत्यधिक मजबूत चंद्रमा व्यक्ति को कल्पनाओं में बहा देता है जिससे प्रेम विवाह की संभावना तो होती है लेकिन असफल होने पर मानसिक पीड़ा भी होती है।

3. बुध: बुध मित्रता, संवाद और समझ का प्रतीक है। किसी भी प्रेम विवाह में संवाद बहुत आवश्यक होता है। यदि बुध मजबूत हो, तो प्रेम विवाह की सफलता की संभावना बढ़ जाती है।

4. राहु: राहु हमारे अवचेतन की गहरी इच्छाओं का प्रतीक है। यदि राहु का संबंध सप्तम भाव या शुक्र से हो, तो अंतरजातीय या विदेशी व्यक्ति से विवाह के योग बनते हैं।

5. मंगल: मंगल उर्जा, कामेच्छा और विवाह में जुनून का प्रतिनिधित्व करता है। यदि मंगल बहुत मजबूत हो, तो व्यक्ति मांगलिक हो सकता है। लेकिन यदि मांगलिक व्यक्ति का विवाह मांगलिक से हो, तो उनका रिश्ता अत्यंत मजबूत बनता है।

प्रेम विवाह के लिए महत्त्वपूर्ण भाव

पांचवां भाव: प्रेम, रोमांस और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है।

सप्तम भाव: विवाह और जीवनसाथी का प्रमुख भाव है।

द्वितीय भाव: परिवार और वाणी का भाव है, यह यह बताता है कि क्या प्रेम विवाह एक सफल पारिवारिक जीवन में बदलेगा।

प्रेम विवाह के योग (Yogas for Love Marriage)

1. द्वितीय भाव और पंचम भाव के बीच संबंध (Dhana-Bhava और Prem-Bhava का संयोग)

द्वितीय भाव पारिवारिक जीवन, वाणी, और कुल परंपरा का प्रतीक है, जबकि पंचम भाव प्रेम, रोमांस, और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतिनिधित्व करता है।
जब इन दोनों भावों के स्वामी या उनके भीतर स्थित ग्रह आपस में युति, दृष्टि या परस्पर परिवर्तन (Parivartana Yoga) करते हैं, तो व्यक्ति के प्रेम संबंध पारिवारिक स्वीकृति पाते हैं।

फलित: व्यक्ति अपने प्रेमी/प्रेमिका से विवाह करता है, और वह संबंध पारिवारिक रूप से मान्य और स्थिर बनता है। यदि शुक्र, चंद्र या गुरु इनमें संलग्न हों तो प्रेम विवाह अत्यंत शुभ माना जाता है।

2. सप्तम भाव का स्वामी एकादश भाव में

सप्तम भाव विवाह का मुख्य भाव है और एकादश भाव इच्छाओं की पूर्ति, मित्र मंडली, एवं सामाजिक सरोकार का है।
यदि सप्तमेश एकादश भाव में स्थित हो, तो विवाह स्वयं के लिए भाग्यवर्धक सिद्ध होता है।

फलित:

  • प्रेम विवाह की संभावना बढ़ती है।

  • विवाह जीवन में सामाजिक सम्मान, लाभ और मित्रों के सहयोग से जुड़ता है।

  • विवाह से पूर्व ही साथी से संबंध स्थापित होता है।
    विशेष रूप से यदि एकादश भाव में शुक्र या चंद्रमा हो तो प्रेम संबंध विवाह तक अवश्य पहुँचते हैं।

3. पंचम भाव और सप्तम भाव के बीच ग्रहों की अदला-बदली (Parivartana Yoga)

यह अत्यंत शक्तिशाली योग है। पंचम भाव प्रेम का और सप्तम भाव विवाह का कारक है।
यदि इन दोनों भावों के स्वामी एक-दूसरे के भाव में स्थित हों, तो यह परस्पर संलग्नता विवाह की ओर स्पष्ट संकेत करती है।

फलित:

  • प्रेम संबंधों में स्थायित्व आता है।

  • व्यक्ति का जीवनसाथी उसके प्रेम का परिणाम होता है।

  • यह योग प्रेम विवाह को सामाजिक बाधाओं के बावजूद सफल बनाता है।

4. राहु की दृष्टि सप्तम भाव के स्वामी, शनि या शुक्र पर

राहु हमारी गहन इच्छाओं, अद्वितीय अनुभवों और सामाजिक रेखाओं को तोड़ने का कारक ग्रह है।
यदि राहु की दृष्टि शुक्र (प्रेम), शनि (दीर्घकालिक संबंध) या सप्तमेश (पति/पत्नी) पर हो, तो यह योग सामाजिक सीमाओं से हटकर विवाह कराने वाला बनता है।

फलित:

  • अंतरजातीय, अंतरदेशीय या छुपे हुए प्रेम विवाह होते हैं।

  • प्रेम विवाह सामाजिक विरोध के बावजूद सफल हो सकता है।

  • साथ ही, राहु के कुप्रभाव से संबंध में भ्रम या धोखा भी हो सकता है, यदि अन्य ग्रह कमजोर हों।

5. लग्नेश और सप्तमेश/पंचमेश की युति

लग्नेश व्यक्ति स्वयं होता है, सप्तमेश जीवनसाथी और पंचमेश प्रेम का कारक।
जब इन तीनों में से दो या तीन ग्रह युति करें, तो प्रेम का भाव विवाह में परिवर्तित होता है।

फलित:

  • व्यक्ति प्रेम में अत्यंत भावनात्मक रूप से जुड़ा होता है।

  • विवाह प्रेम से ही उत्पन्न होता है।

  • यदि यह युति शुभ भावों में हो, तो विवाह सुखद और दीर्घकालिक होता है।

6. मंगल और शुक्र की युति या परस्पर दृष्टि

मंगल ऊर्जा, आकर्षण और कामेच्छा का कारक है, जबकि शुक्र प्रेम, सौंदर्य और विवाह का।
इन दोनों ग्रहों का संयोग या दृष्टि संबंध, गहन प्रेम संबंध बनाता है।

फलित:

  • व्यक्ति बहुत तीव्रता से प्रेम करता है।

  • भावनात्मक और शारीरिक आकर्षण के कारण विवाह होता है।

  • यदि यह योग त्रिकोण या केंद्र में बने तो प्रेम विवाह अत्यंत प्रबल योग बनता है।

7. शुक्र और बुध या गुरु का केंद्र या त्रिकोण में संबंध

शुक्र प्रेम और विवाह, बुध संवाद और मित्रता, तथा गुरु धर्म और आशीर्वाद का प्रतीक है।
इनका केंद्र (1, 4, 7, 10) या त्रिकोण (1, 5, 9) में संबंध हो तो विवाह प्रेमपूर्ण, समझदारी से भरा और आध्यात्मिक रूप से अनुकूल होता है।

फलित:

  • मित्रता से प्रेम, और प्रेम से विवाह का योग बनता है।

  • विवाह में सामंजस्य और नैतिकता बनी रहती है।

8. शुक्र और राहु की युति (विशेषकर 5वें या 9वें भाव में)

शुक्र और राहु की युति एक अत्यंत शक्तिशाली योग है।
यह व्यक्ति को प्रेम संबंधों में अत्यधिक आकर्षण और अनुभव की ओर प्रेरित करता है।

फलित:

  • प्रेम विवाह का योग बनता है।

  • व्यक्ति फिल्म, मॉडलिंग, थिएटर जैसे क्षेत्रों में सफल होता है।

  • यदि यह योग पंचम या नवम भाव में हो, तो प्रेम विवाह अंतरजातीय या विदेशी जीवनसाथी से भी हो सकता है।

9. राहु का लग्न में होना (बिना शुभ दृष्टि के)

लग्न आत्मा और जीवन की दिशा को दर्शाता है।
यदि राहु लग्न में हो और उस पर गुरु या अन्य शुभ ग्रहों की दृष्टि न हो, तो व्यक्ति स्वयं निर्णय लेने वाला होता है।

फलित:

  • व्यक्ति समाज की परवाह किए बिना प्रेम विवाह करता है।

  • आत्मनिर्भरता और विद्रोही स्वभाव प्रेम संबंधों को विवाह में बदल देता है।

10. चंद्रमा का 7वें भाव में या सप्तमेश होना, और उस पर शुक्र या गुरु की दृष्टि

चंद्रमा मन का प्रतीक है। सप्तम भाव जीवनसाथी का।
यदि चंद्रमा सप्तम भाव में हो, और उस पर शुक्र या गुरु दृष्टि डालें, तो भावनात्मक रूप से जुड़ा विवाह होता है।

फलित:

  • प्रेम विवाह अत्यंत गहराई वाला और भावुक होता है।

  • जीवनसाथी के प्रति सच्ची निष्ठा रहती है।

11. चंद्रमा का 5वें, 7वें या 12वें भाव से संबंध और उस पर शुक्र की दृष्टि

यदि चंद्रमा प्रेम (5वां), विवाह (7वां), या एकांत-भावना (12वां) भाव से संबंधित हो, और शुक्र उस पर दृष्टि डाले, तो प्रेम विवाह का प्रबल योग बनता है।

फलित:

  • व्यक्ति प्रेम में डूबा रहता है।

  • यह योग अक्सर छिपे हुए या गहरे प्रेम संबंधों से विवाह में बदलने का सूचक होता है।

12. शुक्र का 5वें, 9वें, 11वें या 2रे भाव में होना

शुक्र जहाँ भी स्थित होता है, वहाँ आकर्षण, प्रेम और सुंदरता लाता है।
यदि शुक्र इन भावों में हो:

  • 5वां: प्रेमपूर्ण रोमांटिक जीवन

  • 9वां: धर्म, भाग्य से प्राप्त प्रेम विवाह

  • 11वां: मित्र मंडली से विवाह

  • 2रा: परिवार प्रेम विवाह को स्वीकार करता है

फलित: जीवन में प्रेम विवाह निश्चित रूप से होता है, विशेषकर यदि अन्य प्रेम योग भी हों।

निष्कर्ष

तो यह थे कुछ महत्वपूर्ण ग्रह योग जो प्रेम विवाह के लिए उत्तरदायी माने जाते हैं। यदि आपकी कुंडली में इन में से दो या तीन योग भी हैं, तो प्रेम विवाह की संभावना बहुत अधिक होती है।

हालाँकि, इसके साथ ही हमें मंगल दोष, राहु का प्रभाव, सूर्य की स्थिति और शनि की दृष्टि का भी ध्यान रखना चाहिए।

  • राहु और मंगल ऐसे ग्रह हैं जो प्रेम विवाह के योग को नष्ट कर सकते हैं।

  • सूर्य जिस भाव में होता है, उसे जलाता है, खासकर यदि वह 7वें भाव में हो।

  • शनि जहाँ बैठता है उसे बढ़ाता है, परंतु जिस भाव पर दृष्टि डालता है उसे नष्ट करता है। उदाहरण के लिए यदि शनि 3रे, 5वें या लग्न में हो, तो विवाह में बाधाएं आती हैं।

यदि आपकी कुंडली में प्रेम विवाह का योग नहीं है, तो नवांश कुंडली (D9) की जांच जरूर करें क्योंकि यह जीवनसाथी और विवाह जीवन की गहराई से जानकारी देती है।

इस लेख को अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें और यदि आपकी कुंडली में ये योग हैं तो आपको प्रेम विवाह का शुभ योग प्राप्त है। हम आपको एक सफल, प्रेमपूर्ण और सुखद वैवाहिक जीवन की शुभकामनाएं देते हैं।

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