Varalakshmi Vrat
हिंदू धर्म में वरलक्ष्मी व्रत को बहुत पवित्र व्रत माना जाता है। वरलक्ष्मी पूजा का दिन, धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी को समर्पित दिनों में से एक है। सावन के अंतिम शुक्रवार को वरलक्ष्मी व्रत होता है।
इस दिन मां लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है, जिससे सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, आर्थिक तंगी दूर होती है, व्यक्ति धनवान होता है।
आज सावन का अंतिम शुक्रवार है, इस दिन वरलक्ष्मी व्रत जरूर करना चाहिए।
वर लक्ष्मी देवी, स्वयं महालक्ष्मी का ही एक रूप हैं। वरलक्ष्मी देवी का अवतार दूधिया महासागर से हुआ था जिसे क्षीर सागर नाम से जाना जाता है।
वर लक्ष्मी का रंग दूधिया महासागर के रंग के रूप में वर्णित किया जाता है और वह रंगीन कपड़े में सजी होती हैं।
यह माना जाता है कि देवी वरलक्ष्मी का रूप वरदान देने वाला होता है और वो अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करती है। इसलिए देवी के इस रूप को “वर” और “लक्ष्मी” के रूप में जाना जाता है।
वरलक्ष्मी व्रत श्रावण शुक्ल पक्ष के दौरान एक सप्ताह पूर्व शुक्रवार को मनाया जाता है।ये राखी और श्रवण पूर्णिमा से कुछ ही दिन पहले ही आता है। इस व्रत की अपनी खास महिमा है।
इस व्रत को रखने से घर की दरिद्रता खत्म हो जाती है साथ ही परिवार में सुख-संपत्ति बनी रहती है।
Leave a Reply