होरा कुंडली का अध्ययन/महत्व!-. – ज्योतिष शास्त्र में होरा का बहुत महत्व होता है। होरा कुंडली का अध्ययन जातक के पास धन की स्थिति का आकलन करने के लिए किया जाता है।’जातक के पास जीवन काल में कितना धन होगा?’ होरा कुंडली बनाने के लिए 30 डिग्री को दो बराबर भागों में बांटते हैं।जिसमें 15 -15 अंश के दो भाग बनते हैं।कुंडली को दो बराबर भागों में बांटने पर केवल सूर्य और चंद्रमा की होराआती है। सम राशि में 0 से 15 अंश तक चंद्रमा की होरा जबकि 15 से 30 अंश तक सूर्य की होरा होती है।तथा विषम राशि में 0 से 15 अंश तक सूर्य की होरा जबकि 15 से 30 अंश तक चंद्रमा की होरा होगी।आइए इसे एक उदाहरण के द्वारा समझते हैं।

उदाहरण।-माना एक पत्रिका कन्या लग्न की है।यह लग्न 12 अंश पर उदित होती है।लग्न सम राशि की है तथा लग्न का मान 15 अंश से कम है।सम राशि में 0 से 15 अंक तक चंद्रमा की होरा होती है इसलिए चंद्रमा की होरा होगी।तथा एक पत्रिका धनु लग्न की है।जो 14 अंश पर उदित होती है। लग्न विषम राशि की है तथा लग्न का मान 15 अंश से कम है।विषम राशि में 0 से 15 अंश तक सूर्य की होरा होती है, इसलिए सूर्य की होरा होगी।
Significance of Hora Astrology
Example- Suppose a magazine is of Virgo ascendant. This ascendant rises at 12 degrees. The lagna is of even sign and the value of the lagna is less than 15 degrees. The Hora of the Moon is from 0 to 15 degrees in an even sign, so the Hora of the Moon will be there. And there is a magazine of Sagittarius ascendant which rises at 14 degrees. The lagna is of odd sign and the value of the lagna is less than 15 degrees. The Hora of the Sun is from 0 to 15 points in the odd zodiac, Therefore the sun will have a hora.
Compiled by
Senior Astrologer Yogesh Tiwari
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