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Jupiter Transits Capricorn on September 14, 2021 | Transit of Jupiter in 2021

Post Date: September 7, 2021

Jupiter Transits Capricorn on September 14, 2021 | Transit of Jupiter in 2021

गुरु गोचरफल September 14, 2021: मकर (Makar) राशि

गोचर के फल कहने के लिए चंद्र लग्न को प्रधान मान कर यह देखना चाहिये कि चंद्र लग्न से वर्तमान में ग्रह कहां-कहां गोचर कर रहे हैं। जन्म पत्रिका में चंद्रमा जिस राशि में स्थित है उस राशि को लग्न में रखकर जो पत्रिका बनती है वह चंद्र जन्म पत्रिका होती है। सही फलादेश करने के लिए जन्म पत्रिका की विवेचना लग्न, चंद्र तथा सूर्य के अनुसार जन्म पत्रिका में करना चाहिये।

 

गोचर का स्वरूप और उसका आधार
आकाश में स्थित ग्रह अपने मार्ग पर अपनी गतिनुसार भ्रमण करते हैं। इस भ्रमण के दौरान वे एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। जन्म समय में ये ग्रह जिस राशि में पाए जाते हैं वह राशि उनकी जन्मकालीन अवस्था कहलाती है। जन्म पत्रिका इसी आधार पर बनाई जाती है। किंतु जन्म समय की स्थिति तो उस जातक का रूप, बनावट, भाग्य इत्यादि निर्धारित करती है। जन्म पत्रिका स्थिर होती है जिसमें ग्रहों की जन्म के समय की स्थिति होती है। किंतु ये ग्रह घुमते रहते हैं। इसलिए इनका तात्कालिक प्रभाव जानने के लिए जन्म पत्रिका में इनकी तात्कालिक स्थिति की गणना गोचर कहलाती है। गो शब्द संस्कृत भाषा की गम् से बना है और इसका अर्थ है चलने वाला। आकाश में करोड़ों तारे हैं। वे सब प्रायः स्थिर है। तारों से ग्रहों की पृथक्ता को दर्शाने के लिए उनका नाम गो अर्थात् चलने वाला रखा गया। चर शब्द का अर्थ भी चाल अथवा चलन है, तो गोचर शब्द का अर्थ हुआ-ग्रहों का चलन, अर्थात् चलना एवं अस्थिर अवस्था में ग्रह का परिवर्तन प्रभाव।

गोचर ग्रहों के प्रभाव उनकी राशि परिवर्तन के साथ-साथ बदलते रहते हैं। जातक पर चल रहे वर्तमान समय की शुभाशुभ जानकारी के लिए गोचर विचार सरल और उपयोगि साधन है। वर्ष की जानकारी गुरू और शनि से, मास की सूर्य से और प्रतिदिन की चंद्र गोचर से की जा सकती है।

 

इस प्रकार जन्म पत्रिका में योग जातक के शुभ-अशुभ का अनुमान बताते हैं। दशाकाल उस शुभ-अशुभ की प्राप्ति का एवं गोचर उसकी प्राप्ति व उपयोग का आभास कराते हैं।

भाग्यफल में तो गोचर अपनी ओर से कुछ जोड़-तोड़ नहीं कर सकता है। गोचर उचित दशा आने के पहले भी फल नहीं दे सकता। बढ़िया से बढ़िया बीज अच्छी से अच्छी मिट्टी में बोने के बावजूद सही पर उचित मात्रा में पानी नहीं मिलने के कारण ठीक प्रकार से फल नही दे पाता, सारा का सारा आयोजन धरा का धरा रह जाता है, उसी प्रकार अच्छा से अच्छा योग सुंदर से सुंदर दशा आने पर भी तब तक पूरी तरह फल नहीं दे पाता जब तक उचित गोचर न हो। उचित गोचर के अभाव में सारा गुड़ गोबर या मिट्टी ही जानिये।

गुरू गोचर फल चंद्र लग्न से दूसरे, पांचवें, सातवें, नवें और ग्यारहवें भाव में गोचर द्वारा आया हुआ गुरू शुभ फल करता है। शेष भावों में उसका फल सामान्य या अशुभ होता है।

 

गुरु गोचर -21 मेष (Mesh) राशि

गुरु चंद्र लग्न से चतुर्थ में गोचरवश जब आता है तो जातक का मन अशांत रहता है। धन हानि हो सकती है। शत्रु पक्ष से कष्ट होता है। जातक को जन्म स्थान छोड़कर बाहर जाना पड़ता है। जमीन जायदाद तथा परिवार के सदस्यों का सुख जातक को नहीं मिलती राज्य की ओर से जातक भयभीत रहता है।

 

गुरु गोचर -21 वृषभ (Vrushabh) राशि
गुरु चंद्र लग्न से पांचवें में जब गोचरवश आता है तब जातक सुख एवं आनंद की प्राप्ति करता है। जातक अपने कार्यों में सफलता प्राप्त करता है। उच्च पद की प्राप्ति होती है। व्यवसाय में जातक की उन्नति होती है। घर में मांगलिक उत्सव होते हैं एवं जातक स्थिरता व लाभ प्राप्त करता है। जातक की तर्कशक्ति, सूझ-बूझ व सद्गुणों में वृद्धि होती है।

 

गुरु गोचर -21 मिथुन (Mithun)राशि
गुरु चंद्र लग्न से छठे भाव में गोचरवश जब आता है तो जातक रोगी होता है। जातक का अन्य लोगों से वैमनस्य रहता है। राज कर्मचारियों से विरोध तथा आर्थिक परेशानी की संभावना रहती है।

 

गुरु गोचर -21 कर्क (Kark) राशि
गुरु चंद्र लग्न से सातवें भाव में गोचरवश जब आता है तब जातक चिंतित व भयभीत रहता है। राज्य के कर्मचारियों से जातक की अनबन होती है। धन होते हुए भी जातक आर्थिक रूप से कमी का अनुभव करता है। धन की गति रुक जाती है तथा पुत्र आदि से जातक को सुख की प्राप्ति नहीं होती।

 

गुरु गोचर -21 सिंह (Sinh)राशि
गुरु चंद्र लग्न से आठवें भाव में गोचरवश आने से जातक बंधन, शोक, रोग, चोर और राज्य की और से कष्ट प्राप्त करता है। व्यापार में जातक को हानि हो सकती है। शारीरिक कष्ट बढ़ता है। लंबी यात्राओं से जातक कष्ट प्राप्त करता है।

 

गुरु गोचर-21 कन्या (Kanya)राशि
गुरु चंद्र लग्न नवम भाव में गोचरवश जब आता है तो धन में वृद्धि होती है। उत्साह व उल्लास का माहौल जातक के घर में फैलता है। भाग्य में जातक की विशेष उन्नति होती है। पुत्र व राज्य की ओर जातक मान प्रतिष्ठा में उन्नति पाता है तथा उसे कार्यो में सफलता प्राप्त होती है। धार्मिक कार्यों में एवं अनुष्ठानों में जातक की रुचि बढ़ती है।

 

गुरु गोचर -21 तुला (Tula) राशि
गुरु चंद्र लग्न से दशम भाव में गोचरवश जब आता है तो जातक दुखी, पीड़ित व चिंतित रहता है। जातक को धन की भी हानि होती है।

 

गुरु गोचर -21 वृश्चिक (Vrushchik)राशि
गुरु चंद्र लग्न से ग्यारहवें भाव में गोचरवश जब आता है तब धन और प्रतिष्ठा की वृद्धि होती है। शत्रुओं की पराजय होती है और समस्त कार्यों में जातक को सफलता प्राप्त होती है। जातक को सुख की प्राप्ति होती है। शुभ तथा धार्मिक कार्यों में जातक की रुचि बढ़ती है।

 

गुरु गोचर -21 धनु (Dhanu) राशि
गुरु चंद्र लग्न से बारहवें भाव में गोचरवश जब आता है तब जातक का परिवार से वियोग होता है। यात्रा में जातक को कष्ट होता है। जातक के व्यय अत्यधिक हो जाते हैं। जातक शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक परेशानियां झेलता है।

 

गुरु गोचर -21 मकर (Makar) राशि
गुरु चंद्र लग्न में जब गोचरवश आता है तब भय और मानहानि होती है। रोजगार और व्यवसाय में विघ्न-बाधाएं आती है। राजभर और मानसिक व्यथा रहती है। कार्य बहुत विलंब से पूरे होते हैं। यात्रा में कष्ट होता है और सुख में कमी ऐ जाती है। भारी व्यय के कारण जातक की आर्थिक स्थिति असंतुलित हो जाती है।

 

गुरु गोचर -21 कुंभ (Kumbha) राशि
गुरु चंद्र लग्न से दूसरे भाव में गोचरवश जब आता है तब धन का आगमन होता है। कुटुंब की सुख समृद्धि बढ़ती है। जातक के यहां शुभ एवं मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं। शत्रुओं से संधि होती है। जातक की ख्याति बढ़ती है। जातक परोपकार और दान करता है।

 

गुरु गोचर -21 मीन (Meen) राशि
गुरु चंद्र लग्न से तीसरे भाव में गोचरवश जब आता है तब जातक को शारीरिक पीड़ा होती है और कुटुम्बियों से झगड़ा होता है। रोजगार में झंझट उत्पन्न होता है। नौकरी छूट जाने तक की संभावना रहती है। राज्य कर्मचारियों की ओर से जातक को विरोध प्राप्त होता है। जातक को यात्रा लाभदायक नहीं होती एवं धन का व्यर्थ व्यय होता है।

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