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Hariyali Teej 23 rd july

Post Date: July 21, 2020

Hariyali Teej 23 rd july

सनातन धर्म में हर त्यौहार का अपना एक विशेष महत्व है। इन्हीं त्यौहारों में से एक है हरियाली तीज है. हरियाली तीज या श्रावणी तीज का उत्सव सावन महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस बार हरियाली तीज 23 जुलाई, 2020 दिन गुरुवार को पड़ रही है. यह प्रमुख रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में कजली तीज के रूप में मनाते है. यह महिलाओं का उत्सव है.

सावन में जब प्रकृति ने हरियाली की चादर ओढ़ी होती है तब हर किसी के मन में मोर नाचने लगते हैं. पेड़ों की डाल में झूले पड़ जाते हैं. सुहागन स्त्रियों के लिए यह व्रत बहुत ही महत्वपूर्व है. इस दिन माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. हरियाली तीज पर्व सुहागन स्त्रियों के लिए बहुत मायने रखता है. क्योंकि आस्था, सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.

हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था, इसलिए सुहागन स्त्रियों के लिए इस व्रत की बड़ी महिमा है. इस दिन महिलाएं महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं.

हरियाली तीज की पूजा विधि

– सुबह उठ कर स्‍नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद मन में पूजा करने का संकल्प लें

– इस दिन साफ-सफाई कर घर को तोरण-मंडप से सजाएं

– पूजा शुरू करने से पूर्व एक चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश, माता पार्वती और उनकी सखियों की प्रतिमा बनायें

– थाली में सुहाग की सामग्रियों को सजा कर माता पार्वती को अर्पण करें

– मिट्टी की प्रतिमा बनाने के बाद देवताओं का आह्वान करते हुए पूजन करें

– हरियाली तीज व्रत का पूजन रातभर चलता है, इस दौरान महिलाएं जागरण और कीर्तन भी करती हैं.

– उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये’ मंत्र का जाप करें

– ऐसा करने के बाद भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाएं, उसके बाद तीज की कथा सुने.

हरियाली तीज की परंपरा

नवविवाहित लड़कियों के लिए विवाह के बाद पड़ने वाले पहले सावन के त्यौहार का विशेष महत्व होता है. हरियाली तीज के मौके पर लड़कियों को ससुराल से पीहर बुला लिया जाता है. हरियाली तीज से एक दिन पहले सिंजारा मनाया जाता है. इस दिन नवविवाहित लड़की की ससुराल से वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार का सामान, मेहंदी और मिठाई भेजी जाती है. इस दिन मेहंदी लगाने का विशेष महत्व है. महिलाएं और युवतियां अपने हाथों पर तरह-तरह की कलाकृतियों में मेहंदी लगाती हैं.

इस दिन पैरों में आलता भी लगाया जाता है. यह महिलाओं की सुहाग की निशानी है. हरियाली तीज पर सुहागिन स्त्रियां सास के पांव छूकर उन्हें सुहागी देती हैं. यदि सास न हो तो जेठानी या किसी अन्य वृद्धा को दी जाती है. इस दिन महिलाएं शृंगार और नए वस्त्र पहनकर मां पार्वती की पूजा करती हैं. हरियाली तीज पर महिलाएं व युवतियां खेत या बाग में झूले झूलती हैं और लोक गीत पर नाचती-गाती हैं.

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