Bhanu Saptami 12th july
भानु सप्तमी का व्रत सूर्य देव को समर्पित माना जाता है. भानु सूर्य भगवान को कहा जाता है. हिंदू धर्म में सूर्य देव को ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भानु सप्तमी को यदि कोई भक्त पूरी श्रद्धा के साथ सूर्य देव की आराधना करता है तो उसके सभी पाप कर्मों और दुखों का नाश होता है. सूर्य देव को सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना गया है. आज के दिन जो भी भक्त सूर्य देव की पूजा अर्चना, समय आदित्य ह्रदयं और अन्य सूर्य स्त्रोत का पाठ करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है. वहीं इसे सुनने वालों को भी शुभ फल की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि सूर्य देव को अर्घ्य देने से याददाश्त अच्छी होती है और मन शांत होता है. जो भी भक्त सूर्य देव की पूजा अर्चना करते समय आदित्य ह्रदयं और अन्य सूर्य स्त्रोत का पाठ करेंगे और इसे इसे सुनने वालों को भी शुभ फल की प्राप्ति होगी.इस व्रत को श्रद्धा और विश्वास से रखने पर पिता-पुत्र में प्रेम बना रहता है.
भानु सप्तमी पूजा का महत्त्व
पौराणिक ग्रंथों और शास्त्रों में भानु सप्तमी के पर्व को सूर्य ग्रहण के समान प्रभावकारी बताया गया है. इसमें जप, होम, दान आदि करने पर उसका सूर्य ग्रहण की तरह अनन्त गुना फल प्राप्त होता है. सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं. इनकी अर्चना से मनुष्य को सब रोगों से छुटकारा मिलता है. जो नित्य भक्ति और भाव से सूर्यनारायण को अर्ध्य देकर नमस्कार करता है, वह कभी भी अंधा, दरिद्र, दु:खी और शोकग्रस्त नहीं रहता है. इस दिन भगवान सूर्यनारायण के निमित्त व्रत करते हुए उनकी उपासना करने से अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है.
- रोज भगवान सूर्य को जल चढ़ाने से बुद्धि का विकास होता हैं. मानसिक शांति मिलती हैं.
- भानु सप्तमी के दिन सूर्य की पूजा करने से स्मरण शक्ति बढ़ती हैं.
- इस एक दिन की पजूा से ब्राह्मण सेवा का फल मिलता है.
- सूर्य देव की अर्चना करने से सदैव स्वस्थ रहते हैं.
- इस दिन दान का भी महत्व होता है ऐसा करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है.
- अच्छे स्वास्थ के लिए, लम्बी आयु के लिए, अपना यश बढ़ाने के लिए अकाल मृत्यु पर विजय पाने के लिए आज करें भगवान् सूर्य देव का व्रत.
- प्रातः काल स्नान करके एक लोटे में शुद्ध जल ले उसमे थोडा गंगाजल, थोडा गाय का कच्चा दूध, कुछ साबुत चावल, फूल, थोडा शहद मिला कर सूर्य देव को अर्घ दे.
- सूर्य के किसी भी मंत्र का जाप करें “ऊँ घृणि सूर्याय नम:” , “ऊँ सूर्याय नम:” , नमस्ते रुद्ररूपाय रसानां पतये नम:. वरुणाय नमस्तेsस्तु.’
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