...
loading="lazy"

जानिए कैसे करें माँ कुष्मांडा की उपासना

Post Date: October 19, 2020

जानिए कैसे करें माँ कुष्मांडा की उपासना

नवरात्रि के चतुर्थ दिन, मां कूष्मांडा जी की पूजा की जाती है। यह शक्ति का चौथा स्वरूप है, जिन्हें सूर्य के समान तेजस्वी माना गया है। मां के स्वरूप की व्याख्या कुछ इस प्रकार है, देवी कुष्मांडा व उनकी आठ भुजाएं हमें कर्मयोगी जीवन अपनाकर तेज अर्जित करने की प्रेरणा देती हैं, उनकी मधुर मुस्कान हमारी जीवनी शक्ति का संवर्धन करते हुए हमें हंसते हुए कठिन से कठिन मार्ग पर चलकर सफलता पाने को प्रेरित करती है।

एक पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है।

इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं। मां कूष्मांडा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है।

मां कूष्माण्डा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं।

आज के दिन यदि आप मां कूष्मांडा की उपासना करने जा रहे हैं तो सबसे पहले मां का ध्यान मंत्र पढ़कर उनका आहवान करें। मां का निम्नलिखित मंत्र से जाप करें:

स्तुता सुरैः पूर्वमभीष्टसंश्रयात्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता।

करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः।।

Share this post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Today's Offer