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नवरात्रि घट/ कलश स्थापना की विधि एवं सामग्री

Post Date: October 15, 2020

नवरात्रि घट/ कलश स्थापना की विधि एवं सामग्री

इस बार पितृ पक्ष की समाप्ति 17 सितंबर 2020 को हो रही है और इससे ठीक एक महीने बाद शारदीय नवरात्रि 2020 की शुरुआत हो रही है जो 17 अक्टूबर 2020 है। नवरात्रि के दौरान घटस्थापना किया जाता है। घट स्थापना, कलश स्थापना को कहते हैं।

दुर्गा पूजा का आरंभ घट स्थापना से शुरू हो जाता है।

आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि, यानी 17 अक्टूबर को घट स्थापना मुहूर्त का समय प्रात:काल 06:27 बजे से 10:13 बजे तक का है.

 कलश को सुख समृद्धि, ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है। कलश के मुख में भगवान विष्णु, गले में रूद्र, मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है। नवरात्री के समय ब्रह्माण्ड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है।  इससे घर की सभी विपदा दायक तरंगें नष्ट हो जाती है तथा घर में सुख शांति तथा समृद्धि बनी रहती है।नवरात्र में कलश स्थापना का विशेष महत्त्व है। अश्विन शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा के दिन ही कलश की स्थापना की जाती है। यह कलश पूरे 9 दिन तक निर्धारित स्थान पर रखा जाता है। पूरे 9 दिन तक इसी कलश के पास भक्त गण माता दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा अर्चना करते है।
घट स्थापना की विधि:

नवरात्रि के प्रथम दिन ही घटस्थापना की जाती है। इसे कलश स्थापना भी कहा जाता है। इसके लिए कुछ सामग्रियों की आवश्यकता होती है।

  • जल से भरा हुआ पीतल,
  • चांदी, तांबा या मिट्टी का कलश,
  • पानी वाला नारियल,
  • रोली या कुमकुम, आम के 5 पत्ते,
  • नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपडा या चुनरी,
  • लाल सूत्र/मौली,
  • साबुत सुपारी, साबुत चावल और सिक्के,
  • कलश ढकने के लिए ढक्कन और जौ
  • मां दुर्गा की मूर्ति के दाईं तरफ कलश को स्थापित किया जाना चाहिए। जिस स्थान पर कलश स्थापित करना है वहां पर किसी बर्तन के अन्दर मिट्टी भरकर रखें या फिर ऐसे ही जमीन पर मिट्टी का ढेर बनाकर उसे जमा दें। यह मिट्टी का ढेर ऐसे बनाएं कि उस पर कलश रखने के बाद भी कुछ जगह बाकी रह जाए। कलश के ऊपर रोली अथवा कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं। इसके बाद कलश पर मौली बांध दें। इसके बाद कलश में थोड़ा गंगाजल डालें और बाकी शुद्ध पीने के पानी से कलश को भर दें। जल से भरे कलश के अंदर थोड़े से अक्षत (चावल), 2-4 दूर्वा घास, साबुत सुपारी, और 1 या दो रुपये का सिक्का डालकर चारों ओर आम के 4-5 पत्ते लगा दें। फिर मिट्टी या धातु के बने ढक्कन से कलश को ढक दें। इस ढक्कन पर भी स्वस्तिक बनाएं।
  • इस ढक्कन पर आपको स्वस्तिक बनाना होगा। फिर उस ढक्कन पर थोड़े चावल रखने होंगे। फिर एक नारियल पर लाल रंग की चुनरी लपेटें। इसे तिलक करें और स्वस्तिक बनाएं। नारियल को ढक्कन के ऊपर चावल के ढेर के ऊपर रख दें। नारियल का मुख हमेशा अपनी ओर ही रखे चाहे आप किसी भी दिशा की ओर मुख करके पूजा करते हों। दीपक का मुख पूर्व दिशा की ओर रखें।

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