सौर परिवार का सबसे लगु और चमकदार ग्रह बुध है। यह सूर्य के अत्यन्त निकट है। यह सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय से पहले आकाश में दिखाई देता है।
सौर परिवार का सबसे लगु और चमकदार ग्रह बुध है। यह सूर्य के अत्यन्त निकट है। यह सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय से पहले आकाश में दिखाई देता है। बुध ग्रह सूर्य से अधिकतम 28 अंश दूर तक जा सकता है। सूर्य का निकटवर्ती ग्रह होने के कारण इसे सूर्य का सहायक कहते हैं।
पौराणिक कथाः बुध ग्रह की उत्पत्ति के संदर्भ में वायु पुराण एवं मत्स्य पराण में लिखा गया है कि इसकी उत्पत्ति चंद्रमा से हुई है। अथर्ववेद के अनुसार बुध के पिता का नाम चंद्रमा और माता का नाम रोहिणी (तारा) है। बुध की बुद्धि बड़ी गंभीर थी इसलिये ब्रह्माजी ने इनका नाम ‘बुध ’ रखा। श्रीमद् भागवत गीता के अनुसार बुध सभी शास्त्रों में पारंगत तथा चंद्रमा के समान ही कान्तिमान है। इस ग्रह की योग्यता और दक्षता के कारण ब्रह्माजी ने इन्हें भूतल का स्वामी तथा ग्रह बना दिया। एक कथा के अनुसार इनकी विध्या-बुद्धि से प्रभावित होकर महाराज मनु ने गुणवती व सुशील कन्या अलका का विवाह बुध से कर दिया था। अलका और बुध ग्रह के रूप में महाराज पुरूरवा का जन्म हुआ। इस तरह चंद्रवंश का विस्तार होता गया। बुध ग्रह प्रायः मंगल ही करते हैं, परन्तु जब ये सूर्य की गति का उल्लंघन करते हैं, तब आंधी-पानी और सूखे का भय होता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोणः बुध सूर्य से अत्यन्त करीब है। बुध पर जहाँ धूप-पड़ती है वहाँ तापमान 400 डिग्री सेल्स्यस से अधिक रहता है। बुध ग्रह की पृथ्वी से दूरी पाँच करोड़ तिरयानवें लाख चौदह हजार सात सौ इकसठ किलोमीटर (59314761) है। इसका व्यास चार हजार आठ सौ नब्बे (4890) किमी. है। सूर्य से इसकी दूरी पाँच करोड उनअस्सी लाख दश हजार (57910000) किमी. है। इसका घनत्व 5.44 ग्राम/सेमी.3 और द्रव्यमान 313 X10 23 किलोग्राम है। यह लगभग 88 दिनों मेंसूर्य की परिक्रमा पूरी कर लेता है। इसकी औसत चाल 48.3 किमी. प्रति सैकेण्ड मानी गयी है। स्थूलतः बुध एक राशि पर 21 से 30 दिन तक रहता है। बुध का कोई उपग्रह नहीं है तथा इस पर वायुमण्डल भी नहीं है।
कारकः बुध ग्रह मिथुन व कन्या राशियों का अधिपति है। बुध ग्रह शुभ ग्रह के साथ या दृष्ट होने से शुभ एवं पाप ग्रहों के साथ या दृष्टि होने से पाप ग्रह होता है। अकेला बुध शुभ माना जाता है। अस्त बुध (सूर्य के साथ) अशुभ माना जाता है। ज्योतिष, गणित, बीमा, वाणिज्य, लेखा, शिल्प विध्या, हास्य, नृत्य, लक्ष्मी, लेखन एवं व्यापार का प्रबल कारक ग्रह है। बुध अपने बल के अनुसार बौद्धिक उन्नति दर्शाता है। यह ग्रह चातुर्य, धार्मिक दशा, शोधक बुद्धि, शास्त्रीय विषय में प्रवेश, वाणी में मिठास आदि का कारक है। अनिष्ट बुध के प्रभाव से जातक विवेक हीन, क्षीण बुद्धि, अर्थशास्त्र में अरूचि नौकरी करने वाला एवं अस्थिर स्वभाव वाला होता है। यह शुभ ग्रह के साथ युक्त या दृष्ट हो तो शुभ फल उत्पन्न करता है। किंतु पाप ग्रहों के साथ युति एवं दृष्टि से इसका अशुभ फल प्राप्त होता है। आश्लेषा, ज्येष्ठा एवं रेवती नक्षत्रों का स्वामी बुध है।
शरीरः शरीर में बुध त्वचा, नाभि के निकट स्थल, वात, पित्त व कफ का कारक है। बुध अनिष्ट कारक होता है तो सिर दुखना, लड़खड़ाते या तुतलाते बोलना, त्वचा संबंधी रोग और कई मानसिक रोग प्रगट होते हैं। बुध का रंग हरा है। बुध की धातु सोना है।
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