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सूर्य ग्रहण 2019

Post Date: December 20, 2019

सूर्य ग्रहण 2019

सूर्य ग्रहण 2019

सूर्य ग्रहण का हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष में बड़ा महत्व है। आधुनिक विज्ञान के अनुसार ग्रहण महज एक खगोलीय घटना है लेकिन भारतीय ज्योतिष में यह बड़े परिवर्तन का कारक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सूर्य ग्रहण के घटित होने से पहले ही उसका प्रभाव दिखना शुरू हो जाता है और ग्रहण की समाप्ति के बाद भी कई दिनों तक उसका असर देखने को मिलता है। साल 2019 में कुल 3 सूर्य ग्रहण घटित होंगे। इनमें पहला सूर्य ग्रहण 6 जनवरी, दूसरा 2 जुलाई और तीसरा सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को दिखाई देगा। हालांकि इनमें से सिर्फ एक सूर्य ग्रहण ही भारत में दिखाई देगा, जो 26 दिसंबर को घटित होगा। 

सूर्य ग्रहण 2019

दिनांक वार समय
26 दिसंबर गुरुवार 08:17:02 से 10:57:09 तक

सूचनाउपरोक्त तालिका में दिया गया समय भारतीय समयानुसार है। इन तीनों सूर्य ग्रहण में से केवल 26 दिसंबर को होने वाला सूर्य ग्रहण ही भारत में दिखाई देगा। इसलिए भारत में सिर्फ इस सूर्य ग्रहण का धार्मिक प्रभाव और सूतक मान्य होगा।

सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर 2019

साल 2019 में तीसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर 2019 को दिखाई देगा। यह ग्रहण पौष अमावस्या के दिन गुरुवार को सुबह 08:17:02 से 10:57:09 बजे तक घटित होगा, जो कि भारत, पूर्वी यूरोप, एशिया, उत्तरी/पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी अफ्रीका में दिखाई देगा। यह सूर्य ग्रहण धनु राशि और मूल नक्षत्र में लग रहा है, इसलिए इस राशि और नक्षत्र से संबंधित जातकों के लिए यह परेशानी का कारण बन सकता है। चूंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा इसलिए यहां पर इसका धार्मिक महत्व और सूतक माना जाएगा। यह सूर्य ग्रहण साल 2019 में भारत में दिखाई देने वाला एक मात्र ग्रहण होगा।

सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर 2019
दिनांक समय दृश्यता
26 दिसंबर, गुरुवार 08:17:02 से 10:57:09 तक भारत, पूर्वी यूरोप, एशिया, उत्तरी/पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी अफ्रीका

सूर्य ग्रहण का सूतक

26 दिसंबर 2019 को दिखाई देने वाले सूर्य ग्रहण का सूतक एक दिन पूर्व 25 दिसंबर को शाम 5:33 बजे से प्रारंभ होगा और अगले दिन सुबह 10:57 पर सूर्य ग्रहण की समाप्ति के बाद खत्म होगा। अतः 25 दिसंबर शाम साढ़े 5 बजे से ही सूतक के नियम प्रभावी हो जाएंगे। इस समय में मूर्ति पूजा और स्पर्श आदि कार्य न करें।

सूतक का महत्व

हिंदू धर्म में ग्रहण के समय कुछ कार्यों को वर्जित माना गया है। क्योंकि सूतक या सूतक काल एक ऐसा अशुभ समय होता है, जिसमें कुछ विशेष कार्य करने की मनाही होती है। सामान्यत: ग्रहण लगने से कुछ घंटों पहले सूतक काल शुरू हो जाता है और ग्रहण के समाप्त होने पर स्नान के बाद सूतक काल समाप्त होता है। बुजुर्ग, बच्चों और रोगियों पर ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होता है।

ग्रहण सूतक में क्या न करें

  1. किसी नये कार्य का शुभारंभ करने से बचें।
  2. सूतक के समय भोजन बनाना और खाना वर्जित होता है।
  3. मल-मूत्र और शौच नहीं करें।
  4. देवी-देवताओं की मूर्ति और तुलसी के पौधे का स्पर्श नहीं करना चाहिए।
  5. दाँतों की सफ़ाई, बालों में कंघी आदि नहीं करें।

ग्रहण में किये जाने वाले कर्म

  1. ध्यान, भजन, ईश्वर की आराधना और व्यायाम करें।
  2. सूर्य व चंद्र से संबंधित मंत्रों का उच्चारण करें।
  3. ग्रहण समाप्ति के बाद घर की शुद्धिकरण के लिए गंगाजल का छिड़काव करें।
  4. ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान के बाद भगवान की मूर्तियों को स्नान कराएं और पूजा करें।
  5. सूतक काल समाप्त होने के बाद ताज़ा भोजन करें।
  6. सूतक काल के पहले तैयार भोजन को बर्बाद न करें, बल्कि उसमें तुलसी के पत्ते डालकर भोजन को शुद्ध करें।

ग्रहण और गर्भवती महिलाएं

ग्रहण घटित होने के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इस दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलने और ग्रहण देखने से बचना चाहिए। ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, काटने और छीलने जैसे कार्यों से बचना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के समय चाकू और सुई का उपयोग करने से गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों को क्षति पहुंच सकती है।

सूर्य ग्रहण में करें मंत्र जप

“ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ”

विज्ञान के अनुसार सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है लेकिन हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष में ग्रहण को लेकर अलग दृष्टिकोण है। ग्रहण के प्रभाव से प्रकृति में कई बदलाव देखने मिलते हैं, जिनका मानव समुदाय पर गहरा असर पड़ता है। अतः ग्रहण और सूतक काल में इनसे जुड़े नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए।

 

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