सफलता का रत्न पुखराज । Sanjay Dara Singh AstroGem Scientist । असली नकली पहचान व धारण करने के लाभ ।
सफलता का रत्न पुखराज । Sanjay Dara Singh AstroGem Scientist । असली नकली पहचान व धारण करने के लाभ । Gemstone Series
वर्तमान समय में सर्वाधिक पहने जाने वाला रत्न पुखराज का रत्नों में एक महत्वपूर्ण स्थान है। साधारणतः पुखराज और टाॅपाज को एक ही रत्न समझा जाता है परन्तु यह दोनों रत्न भिन्न हैं। पुखराज एक कीमती रत्न है तथा टाॅपाज कम कीमती होता है। पुखराज सुनहरी, नारंगी, पीले, हल्के पीले, संतरी, सफेद, गुलाबी, हरे व अन्य कई फैन्सी रंगों में पाया जाता है। पुखराज कुरन्दम प्रजाति का एक बेशकीमती रत्न है। टाॅपाज, सुनेहला व अन्य कई पीले रंग के दिखने वाले रत्नों को बृहस्पति के उपरत्न के तौर पर पहना जाता है। पुखराज को साधारणतः अच्छे स्वास्थय, शोहरत, सम्मान, ख्याति, सकारात्मक गुणों की बढ़ोतरी, समृद्ध भविष्य, दर्शन शास्त्र, अर्थ शास्त्र, सन्तान सुख, धर्म, विवाह एवं सफल वैवाहिक जीवन, ऐश्वर्य, धार्मिक कार्य, ग्रहण शक्ति, पति का सुख, आत्मिक शांति, प्रवचन, सदाचार, स्वतन्त्रता, भक्ति, दान, वाहन सुख, दया की भावना, वाणी शक्ति का प्रभाव, नेतृत्व इत्यादि के संदर्भ में धारण किया जाता है, यह भी माना जाता है कि अगर किसी लड़की को योग्य वर प्राप्ति के मार्ग परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो उसे भी यह रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है।
ज्योतिषय संदर्भ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार धनु व मीन राशि का स्वामी ग्रह बृहस्पति होता है और सौरमण्डल में सबसे बडे ग्रह बृहस्पति का रत्न पुखराज को माना जाता है। जिस भी जातक की जन्म कुण्डली में बृहस्पति सकारात्मक प्रभाव देने की स्थिति में होता है तो उन्हें पुखराज रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। जो व्यक्ति शिक्षा क्षेत्र, राजनीति, नेतृत्व, निर्देशन, अध्यातमिकता के कार्य, मार्ग दर्शक, ज्ञान, उपदेश, नेतृत्व के व्यापार, प्रशासनिक कार्य, बैंक व्यवस्था, न्यायधीश, वकील, धर्म गुरू, ज्योतिष, संस्थापक, किसी भी प्रकार की व्यवस्था संबंधित कार्य, लेखक, व्याखयाता, प्रकाशक, उपदेशक, उनी-सूती कपड़ों का व्यवसाय, एम.एल.ए., मंत्री, सांसद, पी.एच.डी. जैसी उच्च उपाधियों, अर्थ व दर्शन शास्त्र से संबंधित कार्य, मुनीम, लेखापाल, उच्च अधिकारी जटिल रोग निवारक दवाईयां, जल परिवहन, जन कल्याण, बेकरी, मिठाईयां, साबुन, पीले बर्तन, रेवेन्यु विभाग इत्यादि कार्यों से जुड़े होते हैं या जो व्यक्ति उपरोक्तलिखित कार्यों से संबंधित किसी भी प्रकार से चाहे वह तकनीकी, उत्पादकता, क्रय-विक्रय इत्यादि रूप से जुड़े होते हैं उन्हें भी यह पुखराज रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है।
रोगों के संदर्भ में
पुखराज रत्न आत्मबल, दस्त, जठर रोग, शक्ति, अल्सर, मानसिक रोग, गठिया, पीलिया, अनिद्रा, हृदय संबंधित समस्याऐं, छाती के रोग, घुटनों के रोग, कंधा व छाती के रोग, थायराईड, किसी भी रोग में तीव्र गति से ठीक होना, शारीरिक शक्ति, मोतिया बिन्द, रक्त कैंसर, सायटिका, नाभी खिसकना, नितम्ब, मांस, जांध, कफ, चर्बी इत्यादि का कारक है।
रत्न विज्ञान के अनुसार पुखराज शुद्ध ऐलुमीनियम ऑक्साइड है। पुखराज भारत, ब्राजील, रशिया, श्रीलंका, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, यू.के., नेपाल, मैदागयास्कर, माॅजाम्बिक, मैक्सिको, जाम्बिया, नाईजीरिया, कम्बोडिया, कजेच, मयामार, भारत में पुखराज जम्मु में पाया जात है, जम्मु की खाने कई दशकों से बंद है। भारत के उड़ीसा राज्य में भी पुखराज की खाने हैं परन्तु यहां से निकलने वाला पुखराज कम गुणवत्ता का होने के कारण बाजारों में कम प्रचलन में है। वर्तमान समय में श्रीलंका, मोजाम्बिक, मैदागयास्कर का पुखराज विश्व में बहुत अच्छी गुणवत्ता का माना जाता है तथा बाजारों में प्रचलन में भी है तथा कीमती भी, थाइलैंड का पुखराज भी बाजार में काफी प्रचलन में है श्रीलंकन व मोजाम्बिक पुखराज के बाद सबसे ज्यादा प्रचलित थाईलैंड का पुखराज ही है इसका सबसे बडा कारण है इसकी कीमत का कम होना। कीमती कम होने का कारण है कि इसमें ट्रीटमेंट व कांच की तथा नकली रंग की फीलिंग होना। बाजार में थाईलैंड से निकला उत्पाद अच्छी ओर बेहतर गुणवत्ता में भी होता है परन्तु वह भी कीमती हो जाता है। इसीलिए दुकानदार अधिक मुनाफा कमाने के लिए कम कीमत व कम गुणवत्ता का थाईलैंड के पुखराज को श्रीलंका का पुखराज कहकर बेच देते हैं। इसीलिए ग्राहकों को सर्टिफाइड उत्पाद में भी रत्न के ऑरिजिन साॅर्स की तरफ भी ध्यान देना चाहिए कि रत्न का उदगम क्षेत्र कौन-सा है। इसीलिए ग्राहकों को सतर्क रहते हुवे उन्हें किसी भी अच्छे ब्राण्ड का सील्ड व सर्टिफाईड उत्पाद ही खरीदना चाहिए क्योंकि बिना प्रमाणिकता के रत्नों में ग्राहक के साथ धोखा होने की संभावना अधिक होती है।
रत्नों की प्रमाणिकता को लेकर रत्न शास्त्र में कुछ टैस्ट होते हैं अगर कोई रत्न उन सभी टैस्टस में पास होने पर ही असली कहलाता है।
असली प्राकृतिक पुखराज रत्न को रत्न शास्त्र के आधार पर पहचाने के लक्ष्ण:
1. यह पारदर्शी रत्न होता है।
2. इसकी हार्डनेस मोह स्केल पर 9.00 होती है।
3. यह तेजाब, सूखापन, अम्ल, कैमिकल्स के प्रति संवेदनशील नहीं होता।
4. इसका वर्तनाक आर.आई. मीटर पर 1.76 – 1.77 होती है।
5. इसकी सपेसिफिक ग्रेविटी 4.00 होती है।
6. इसक ऑपिटक कैरेक्टर डी.आर. 0.008 होता है।
7. प्राकृतिक पुखराज को इनकैंडेसेंट लाईट में देखने पर क्रिस्टल, सिल्क, फैदर इत्यादि आकृतियां नजर आती हैं।
8. पुखराज ऐलुमीनियम ऑक्साईड की रासायनिक संरचना होती है।
Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientists
LLB., Graduate Gemologist (Gemological Institute of America),
Astrology, Nemeorology, Vastu (SSM)
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