शनि जयंती ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर शनि जयंती मनाई जाती है। इस बार 22 मई को है।
शनि जयंती ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर शनि जयंती मनाई जाती है। इस बार 22 मई को शनि जयंती है। शनि से जुड़े दोषों से मुक्ति के लिए शनि अमावस्या पर शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व होता है। ज्योतिष के अनुसार शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा होने पर व्यक्ति को तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शनि के प्रकोप को कम करने के लिए शनि की विशेष अवसरों पर पूजा करने से अटके काम पूरे होते हैं और परेशानियों का अंत भी होता है। आइए जानते है शनि जयंती 2020 के मौक पर शनिदेव की पूजा और इसका महत्व।
शनि की साढ़े साती और ढैय्या से होने वाली समस्याएं :-
आर्थिक दिक्कतें
मनचाही नौकरी में परेशानियां
व्यापार में उतार चढ़ाव
पारवारिक कलह- कलेश
विवाह में अड़चन आना
स्वास्थ्य खराब रहना
भवन निर्माण में रुकावट आना
कार्य स्थल पर अपमान का सामना करना
शनि देव को सूर्य पुत्र एवं कर्म फल दाता के रूप में जाना जाता है। यह एक लंबे अंतराल के बाद एक राशि से दूर राशि में प्रवेश करता है। यह एक मात्र ग्रह है जिसकी अनुकम्पा से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यदि इसके शुभ प्रभाव किसी पर पड़ जाएं तो उससे भाग्यशाली इस पूरे संसार में कोई नहीं रह जाता। वही दूसरी ओर यदि इसके दुष्प्रभाव किसी पर पड़ जाएं तो उसका सारा जीवन उथल -पुथल हो जाता है। उसके जीवन में परेशानिया बढ़ने लगती है। इन परेशानियों से मुक्ति प्राप्तकर शनि देव की कृपा प्राप्ति के लिए उनका तेल अभिषेक किया जाता है जिससे वह बहुत प्रसन्न होतें है तथा अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर कर देतें है।
शनि जयंती विशेष शानी होमा! शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए और पुरुष प्रभाव से राहत पाने के लिए। दिनांक - 22 मई, शाम 5 बजे हमारी सेवाएं :- हमारे पंडित जी द्वारा तेल अभिषेक किया जाय गा, हमारे पंडित जी आपकी ओर से संकल्प लेंगे। ऑनलाइन संकल्प के लिय Click http://vdst.in/e/E010153 बैंगलोर आश्रम में अगली सूचना तक सभी कार्यक्रमों को व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए निलंबित कर दिया जाता है। हमसे जुडे: + 91-9538186844 / 080-67262639 info@vaidicpujas.org वैदिक धर्म संस्थान परंपराओं को पुनर्जीवित करना, विरासत को संरक्षित करना
Leave a Reply