मंगल गोचरफल 14-Apr-21 मिथुन (Mithun) राशि | Mangal Gochar 2021
गोचर के फल कहने के लिए चंद्र लग्न को प्रधान मान कर यह देखना चाहिये कि चंद्र लग्न से वर्तमान में ग्रह कहां-कहां गोचर कर रहे हैं। जन्म पत्रिका में चंद्रमा जिस राशि में स्थित है उस राशि को लग्न में रखकर जो पत्रिका बनती है वह चंद्र जन्म पत्रिका होती है। सही फलादेश करने के लिए जन्म पत्रिका की विवेचना लग्न, चंद्र तथा सूर्य के अनुसार जन्म पत्रिका में करना चाहिये।
मंगल गोचरफल | गोचर का स्वरूप और उसका आधार
आकाश में स्थित ग्रह अपने मार्ग पर अपनी गतिनुसार भ्रमण करते हैं। इस भ्रमण के दौरान वे एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। जन्म समय में ये ग्रह जिस राशि में पाए जाते हैं वह राशि उनकी जन्मकालीन अवस्था कहलाती है। जन्म पत्रिका इसी आधार पर बनाई जाती है। किंतु जन्म समय की स्थिति तो उस जातक का रूप, बनावट, भाग्य इत्यादि निर्धारित करती है। जन्म पत्रिका स्थिर होती है जिसमें ग्रहों की जन्म के समय की स्थिति होती है। किंतु ये ग्रह घुमते रहते हैं। इसलिए इनका तात्कालिक प्रभाव जानने के लिए जन्म पत्रिका में इनकी तात्कालिक स्थिति की गणना गोचर कहलाती है। गो शब्द संस्कृत भाषा की गम् से बना है और इसका अर्थ है चलने वाला। आकाश में करोड़ों तारे हैं। वे सब प्रायः स्थिर है। तारों से ग्रहों की पृथक्ता को दर्शाने के लिए उनका नाम गो अर्थात् चलने वाला रखा गया। चर शब्द का अर्थ भी चाल अथवा चलन है, तो गोचर शब्द का अर्थ हुआ-ग्रहों का चलन, अर्थात् चलना एवं अस्थिर अवस्था में ग्रह का परिवर्तन प्रभाव।
गोचर ग्रहों के प्रभाव उनकी राशि परिवर्तन के साथ-साथ बदलते रहते हैं। जातक पर चल रहे वर्तमान समय की शुभाशुभ जानकारी के लिए गोचर विचार सरल और उपयोगि साधन है। वर्ष की जानकारी गुरू और शनि से, मास की सूर्य से और प्रतिदिन की चंद्र गोचर से की जा सकती है।
इस प्रकार जन्म पत्रिका में योग जातक के शुभ-अशुभ का अनुमान बताते हैं। दशाकाल उस शुभ-अशुभ की प्राप्ति का एवं गोचर उसकी प्राप्ति व उपयोग का आभास कराते हैं।
भाग्यफल में तो गोचर अपनी ओर से कुछ जोड़-तोड़ नहीं कर सकता है। गोचर उचित दशा आने के पहले भी फल नहीं दे सकता। बढ़िया से बढ़िया बीज अच्छी से अच्छी मिट्टी में बोने के बावजूद सही पर उचित मात्रा में पानी नहीं मिलने के कारण ठीक प्रकार से फल नही दे पाता, सारा का सारा आयोजन धरा का धरा रह जाता है, उसी प्रकार अच्छा से अच्छा योग सुंदर से सुंदर दशा आने पर भी तब तक पूरी तरह फल नहीं दे पाता जब तक उचित गोचर न हो। उचित गोचर के अभाव में सारा गुड़ गोबर या मिट्टी ही जानिये।
मंगल चंद्र लग्न से गोचरवश तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव में शुभ फल देता है।
शेष भावों में इसका फल सामान्य एवं अशुभ होता है।
मंगल गोचर 14-Apr-21 मिथुन (Mithun) राशि
चंद्र लग्न में यदि गोचरवश मंगल हो तो कार्य सफल नहीं होते। जातक को अग्नि, जहर और शस्त्र से हानि की संभावनाएं होती हैं। दुर्जनों को कष्ट मिलता है। यात्रा में दुर्घटनाएं या कष्ट हो सकता है।
मंगल गोचर 14-Apr-21 कर्क (Kark) राशि
चंद्र से द्वितीय भाव में यदि मंगल गोचरवश स्थित हो तो जातक को बल की हानि होती है। कार्यों में जातक को प्रायः असफलता मिलती है। दुष्ट मनुष्यों, चोरों तथा अग्नि से धन की हानि हो सकती है। जातक सदा कठोर वचनों का प्रयोग करता है। राज्य की ओर से दण्डित होने का भय रहता है। शरीर में पित्त के आधिक्य से जातक को कष्ट रहता है।
मंगल गोचर 14-Apr-21 सिंह (Sinh) राशि
चंद्र से तृतीय भाव में यदि मंगल गोचरवश स्थित हो तो जातक का साहस बढ़ता है तथा उसके शत्रु पराजित होते हैं। जातक को धन मिलता। जातक के प्रभाव तथा धन में वृद्धि होती है। राज्य कर्मचारियों की ओर से जातक को सहायता प्राप्त होती है। जातक की तर्क शक्ति बढ़ती है।
मंगल गोचर 14-Apr-21 कन्या (Kanya) राशि
चंद्र से चतुर्थ भाव में यदि मंगल गोचरवश गया हो तो शत्रुओं की वृद्धि और स्वजनों का विरोध होता है। धन एवं वस्तुओं की कमी आ जाती है। जमीन जायदाद की समस्याएं उत्पन्न होती है। घरेलू जीवन का सुख जातक को कम मिलता है। जातक की माता को कष्ट मिलता है। जातक के मन में हिंसा तथा क्रूरता की वृत्ति जाग्रत होती है।
मंगल गोचर 14-Apr-21 तुला (Tula) राशि
चंद्र से पंचम में जब मंगल गोचरवश आता है तो धन और स्वास्थ्य का नाश होता है। संतान बीमार रहती है। मन पाप कर्मो की ओर अधिक प्रवृत होता है। उसके गौरव और प्रताप को विशेष धक्का लगता है। शत्रुओं से पीड़ा होती है।
मंगल गोचर 14-Apr-21 वृश्चिक (Vrushchik) राशि
चंद्र से छठे जब मंगल गोचरवश आता है, तब धन, अन्न और स्वर्ण प्राप्ति होती है। शत्रुओं पर जातक को विजय प्राप्त होती है। वैयक्तिक प्रभाव में वृद्धि होती है। यदि मंगल छठे भाव में उच्च या स्वराशि में स्थित हो तो जातक का स्वास्थ्य ठीक रहता है।
मंगल गोचर 14-Apr-21 धनु (Dhanu) राशि
चंद्र से सप्तम जब मंगल गोचरवश आता है तो जातक के स्वजनों को मानसिक तथा शारीरिक कष्ट होता है। भोजन, वस्त्र आदि में कमी आती है। जातक को उसकी पत्नी से वैचारिक मतभेद तथा झगड़ा होता है। भाइयों से भी जातक विवाद करता है और दुःख प्राप्त करता है।
मंगल 14-Apr-21 मकर (Makar) राशिगोचर
चंद्र से अष्टम जब मंगल गोचरवश आता है तो जातक का परदेशवास होता है। जातक के कार्य की हानि होती है, पुरूषार्थ निष्फल जाता है। घाव और रोग से पीड़ा होती है। भाइयों से जातक की अनबन रहती है। दुष्प्रवृत्ति अधिक रहती है। शत्रुओं से जातक भयभीत रहता है।
मंगल गोचर 14-Apr-21 कुंभ (Kumbha) राशि
चंद्र से नवम जब मंगल गोचरवश आता है तो तब जातक अनादर पाता है। धनाभाव का कष्ट उठाना पड़ता है। रोजगार में बाध उत्पन्न होती है। जातक पर शत्रु पक्ष एवं विरोधी हावी रहते हैं।
मंगल गोचर 14-Apr-21 मीन (Meen) राशि
चंद्र से दशम में मंगल जब गोचरवश आता है तब जातक को तामसिक पदार्थो का भोजन प्राप्त होता है। शरीर में आघात आदि द्वारा रोग की उत्पत्ति होती है। किसी कार्यवश घर से बाहर रहना पड़ता है। रोजगार में बाधाएं आती है। चोरों का भय भी रहता है। मतातरनुसार उतरार्द्ध में धन प्राप्ति होती है।
मंगल गोचर 14-Apr-21 मेष (Mesh) राशि
चंद्र से एकादश भाव में मंगल जब गोचरवश आ जाता है, तब जय, अरोग्य और धन धान्य की प्राप्ति होती है। आय में आशातीत वृद्धि होती है। भूमि आदि के लाभ होते हैं। आय में वृद्धि होती है। भाइयों की वृद्धि होती है तथा जातक को भाईयों से लाभ भी रहता है। कार्यों में सफल मिलती है।
मंगल गोचर 14-Apr-21 वृषभ (Vrushabh) राशि
चंद्र से द्वादश भाव में गोचरवश जब मंगल आता है तो धन का व्यय होता है तथा घर से बाहर जाना पड़ता है। मनुष्य नेत्र रोग सो पीड़ित होता है। भाइयों से अनबन रहती है। मानहानि होती है। स्त्री को कष्ट होता है तथा उससे कलह होती है। पुत्रों को कष्ट की प्राप्ति होती है।
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