‘भगवान’ के छ : गुण : दो कदम बुद्धत्व की ओर – श्री श्री रवि शंकर

Post Date: June 29, 2020

‘भगवान’ के छ : गुण : दो कदम बुद्धत्व की ओर – श्री श्री रवि शंकर

तीसरा हिस्सा

स्वास्थ्य धन (धान्यक्ष्मी) : दूसरी प्रकार का धन है स्वास्थ्य धन। कुछ लोगों के पास धन की कमी होती है, परन्तु उनका स्वास्थ्य बहुत अच्छा होता है। उनके पास इतना धन होता है कि वे खा-पी सकते हैं औंर घर आए मेहमान को भी खिला सकते हैं। जैसे भारत के गांव के किसान-वे अच्छा खाते हैं और अच्छा सोते हैं। किन्हीं के पास धन-दौलत तो बहुत हो, परन्तु स्वास्थ्य खराब होने के कारण वे अच्छा खा-पी नहीं सकते, या उनके पास खाने का समय ही नहीं होता या डायबिटीज, हृदयरोग या दूसरी बीमारियों के कारण उन्हें स्वादिष्ट  खाना भी नसीब नहीं होता। या फिर अच्छा, बड़ा सुन्दर घर, बंगला हो, बहुत बढ़िया आरामदायक महंगा बिस्तर, पलंग हो, किन्तु नींद न आने की बीमारी भी साथ हो तो फिर ऐसे धन का क्या उपयोग?

सफलता का धन – विजय लक्ष्मीः तीसरे प्रकार का धन है जीवन में सफलता का होना, हर कार्य में विजयी होना। कुछ लोग चाहे बहुत धनवान परिवार में पैदा हुए हों, किंतु वह कोई भी कार्य करें, उन्हें उसमें सफलता नहीं मिलती, चाहे वह कितना ही आसान काम हो। मान लो, किसी ऐसे व्यक्ति को यदि कार से कहीं भेजें तो कार खराब हो जाएगी या ड्राइवर नहीं आएगा या दुकानें बन्द हो जाएंगी या वह वस्तु नहीं मिलेगी या कोई और कारण बन जाएगा, लेकिन जो काम करना था, वह नहीं हो पाएगा, चाहे वह कितना ही मामूली काम था। ऐसे लोग हमेशा किसी कार्य को आरम्भ करने से पहले ही “यह नहीं हो पाएगा” सोचना शुरू कर देते हैं और बैठे-बैठे सोचते ही रहते हैं तथा इस प्रकार की सोच के कारण उनमें शुरू में ही नकारात्मक शिथिलता आ जाती है। वह जीवन को ऐसा ही गंवा देते हैं।

साहस का धनः साहस रूपी धन चौथे प्रकार का धन है। साहस की कमी इस धन की कमी है। यदि धन-दौलत तो बहुत हो, परन्तु साहस न हो, जीवन में कुछ भी कर सकने का साहस, तो फिर समझो, जीवन बेकार गया। ऐसे जीवन में कोई आनन्द नहीं।

to be continued………..

The next part will be published tomorrow…

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