बारहवे (व्यय) भाव में मंगल का प्रभाव
बारहवे (व्यय) भाव में मंगल का प्रभाव
कुंडली के द्वादश (व्यय) भाव से शारीरिक सुख, दुःख नेत्ररोग, कैद, बुरे लोगो की संगति सभी प्रकार के खर्च, अपमान, धन का नाश मोक्ष इन सब बातों की जानकारी प्राप्त होती है।
बारहवे भाव में मंगल स्थित होने से जातक झगडालू प्रवृत्ति का जिद्दी व अधिक धन खर्च करनेवाला होता है। ऐसा जातक देश विदेश में घूमता रहता है। मंगल गर्म ग्रह होने से उसमें अधिक ऊर्जा रहती है। वह शक्ति का कारक ग्रह है। बारहवें भाव में स्थित मंगल के जातक अपना शक्ति व ऊर्जा का अपव्यय झगडे व फसाद करनें में करता है। इस कारण उसे क्रोध भी अधिक आता है। मंगल गर्म ग्रह होने से जातक में भी मंगल के प्रभाव से गर्मी व उष्णता का प्रभाव अधिक होने से वह शीघ्र क्रोध में लाल होकर दूसरों पर अपना रौब जमाने का प्रयत्न करता है। क्रोध में आकर वह गलत कार्य करता है। बारहवें भाव में मंगल अशुभ प्रभाव होने से जातक को जले या सजा होने की संभावना होती है। ऐसा जातक अपना धन अशुभ व गलत कामों में खर्च करता हैं। बारहवें भाव में स्थित मंगल के प्रभाव से जातक को नेत्र रोग व उसके अपमानिक होने की संभावना रहती है। ऐसे जातक को मृत्युतुल्य कष्ट हो सकता है। जातक को शास्त्रों से हानि होने की या अपघात होने की संभावना रहती है। बारहवा भाव हमारी शैय्यासुख याने नींद का भी होता हैं जिस जातक के पत्रिका में बारहवे भाव में मंगल स्थित होता हैं उसे अच्छी नींद नहीं आती। वैवाहिक जीवन कलहपूर्ण होने की संभावना रहती है। बारहवे भाव में मंगल शुभ प्रभाव में होने से इस भाव से संबंधी शुभफल प्राप्त होते है। अन्य ग्रहों के दृष्टि का विचार भी होता है। शुभ ग्रहों की दृष्टि होने से शुभफल होंगे। जातक को विदेश से लाभ प्राप्त होगा।
सप्तम दृष्टि
बारहवे भाव में मंगल स्थित होने से उसकी सप्तम दृष्टि छठे भाव पर होती हैं। मंगल की छठे भाव पर दृष्टि होने से जातक के शत्रु से परेशानी रहती है।
चतुर्थ दृष्टि
बारहवे भाव में मंगल स्थित होने से उसकी चतुर्थ दृष्टि तृतीय भाव पर पडती हैं। मंगल की तृतीय भाव पर दृष्टि होने से जातक पराक्रमी होता है। व अपने पराक्रम से धन कमाता है। भाईयों के सुख में कमी होती हैं।
अष्टम दृष्टि
बारहवे भाव में मंगल स्थित होने से उसकी अष्टम दृष्टि सप्तम भाव पर पडती हैं। मंगल की सप्तम भाव पर दृष्टि होने से जातक का विवाहित जीवन कलहपूर्ण होता है तथा पत्नी से अनबन बनी रहती है।
बारहवे भाव में मंगल का मित्र राशि में प्रभाव
बारहवे भाव में मंगल अपनी मित्रराशि में होने से जातक धनी, भ्रमण प्रिय, बलवान एवं प्रयत्नशील होता है।
बारहवे भाव में मंगल का शत्रुराशि में प्रभाव
बारहवे भाव में मंगल शत्रुराशि में स्थित होने से जातक धन गलत कार्यो पर खर्च करता हैं। तथा उसे सब तरफ से हानि होने की संभावना रहती है।
बारहवें भाव में मंगल का स्वराशि उच्च राशि व नीचराशि में प्रभाव बारहवे भाव में मंगल स्वराशि मेष या वृश्चिक में स्थित होने से जातक प्रातापी, दानी होता है। तथा वह शुभकार्यो में अपना धन खर्च करता है।
बारहवे भाव में मंगल अपनी उच्चराशि मकर में स्थित होने से जातक प्रसिद्ध, सुखी व स्वस्थ होता है तथा वह एकाग्रचित्त होता है।
बारहवे भाव में मंगल अपनी नीच राशि कर्क में स्थित होने से जातक को जेल जाने की संभावना होती है तथा अस्वस्थ रह सकता है। उसे नेत्ररोग होने की व रक्तसंबंधी बीमारी होने की संभावना रहती है।