पृथ्वी का निकटवर्ती ग्रह मंगल लाल रंग का होने के कारण युद्ध का देवता कहलाता है। मंगल को भूमि पुत्र भी कहते हैं।
पृथ्वी का निकटवर्ती ग्रह मंगल लाल रंग का होने के कारण युद्ध का देवता कहलाता है। मंगल को भूमि पुत्र भी कहते हैं।
पौराणिक कथाः मंगल ग्रह के जन्म और उत्पति को लेकर वेद, पुराण और ज्योतिष शास्त्र में अनेक कथाओं का वर्णन है। इन कथाओं के अनुसार वामन पुराण में बताया गया है कि जब भगवान शंकर ने महासुर अंधक का वध किया तब मंगल ग्रह का जन्म हुआ। महाभारत कथा के अनुसार मंगल ग्रह का जन्म भगवान कार्तिकेय के शरीर से हुआ था। वराह कल्प के अनुसार जब हिरण्यकश्यप के बड़े भाई हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को अपने अधिकार में कर लिया तब अनुसार पृथ्वी की रक्षा के लिये भगवान विष्णो ने वाराह अवतार लिया तथा हिरण्याक्ष को मारकर पृथ्वी माता को जीवनदान दिया। भगवान के इस पराक्रम को देखकर पृथ्वी माता अत्यन्त प्रसन्न हुई और उन्होंने मन ही मन भगवान विष्णो को पतिरूप में वरण करने की इच्छा प्रकट की पृथ्वी माता की कामना पूर्ण करने के लिये करोड़ो सूर्यो के तेज रूप वाले भगवान अपने मनोरम रूप में आए और पृथ्वी माता के साथ एक वर्ष तक एकान्त में रहे। इसी कारण पृथ्वी माता और भगवान के संयोग से मंगल ग्रह की उत्पति हुई। इस प्रकार विभिन्न कल्पों में मंगल ग्रह की उत्पत्ति की विभिन्न कथाएं वर्णित है।
है तो इसकी गति अत्धिक तीव्र होती है।
कारकः मंगल ग्रह मेष व वृश्चिक राशियों का अधिपति है। मंगल क्रूर (दुष्ट) ग्रह माना जाता है। हिम्मत, मकान, भूमि, अग्नि, रोग, शील, भाई, राज्य एवं शत्रु का कारक ग्रह मंगल है। जन्म पत्रिका में बलवान मंगल जातक को राज्याधिकार, साहस, उन्नति, जमीन-जायदाद, भाईयों का सुख, इत्यादि दिलाता है। मंगल यदि जन्म पत्रिका मे निर्बल हो तो जातक स्वभाव से झूठा, चुगलखोर, क्रोधी और दुष्ट होता है। मृगशिरा, चित्रा व घनिष्ठा नक्षत्रों का स्वामी मंगल है।
शरीरः शरीर में मंगल पित्त व मज्जा का कारक है। यह अनिष्ट हो तो उष्णता का विकार , भयंकर का रंग लाल है। मंगल की धातु तांबा बै।