13
Mar
पंचम भाव में बुध का प्रभाव
कुंडली के पंचम भाव से हमें संतान, बुद्धि व शिक्षा, देवभक्ति, सट्टा, शेयर लाटरी की जानकारी प्राप्त होती है।
पंचम भाव स्थित बुध होने से जातक कुशाग्र बुद्धि व तेजस्वी हैं। जातक सदाचारी होता है। जातक को वाद्य तथा काव्य में रूचि होती है। पंचम... read more
11
Nov
ग्रहों की दृष्टि
सूर्य जब उदय होता है तो उसकी किरणें तिरछी होती है। दोपहर को सूर्य की किरणें बिल्कुल सीधी होती है जिससे गर्मी ज्यादा होती है। शाम को फिर सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं।
इसी प्रकार सभी ग्रहों का प्रभाव होता हैं। ग्रह के सामने सीधी व पूर्ण ... read more
06
May
देवेन्द्र योग
लग्न यदि स्थित राशि जैसे वृषभ, सिंह, वृश्चिक या कुंभ का हो तथा लग्नेश एकादश भाव में एवं एकादशेश लग्न में हो तथा दूसरे भाव का स्वामी दशम भाव में हो तो या द्वितीयेश व दशमेश एक साथ बैठे हों तो देवेन्द्र योग बनता है।
जन्म पत्रिका में देवेन्द्र... read more
30
Apr
अग्निकांड योग
यदि जन्म पत्रिका में लग्न, पंचम तथा नवम भवों में मंगल, सूर्य तथा केतु ग्रह स्थि हो तथा लग्नेश कमजोर हो एवं पंचमेश, नवमेश भी मंगल, सूर्य व केतु से दृष्टि संबंध रखते हो तो अग्निकांड योग घटित होता है।
स जातक की जन्म पत्रिका में अग्निकांड योग होता... read more
11
Jun
वापी योग
सभी ग्रह केंद्र से बाहर हो और केंद्र में एक भी ग्रह न हो तो वापी योग होता है।
वापी योग में जन्म लेने वाला जातक कृपण, थोड़े-से धन से खुश होने वाला साधारण स्थिति एवं स्तर का होता है।
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02
Mar
चंद्रमा का छठे भाव में प्रभाव
कुंडली के छठे भाव से शत्रु, चिंता, रोग, शारीरिक पीड़ा, ननिहाल पक्ष एवं कर्ज की जानकारी प्राप्त होती है।
चंद्रमा छठे भाव रोग व शत्रु स्थान में स्थित होने से जातक को चंद्रमा से संबंधित रोग होते है। ज्योतिष में छठे भाव को दुःस्थान माना... read more
30
Jun
चतुर्मुख योग
यदि लग्नेश और दशमेश केंद्रगत हों, नवमेश से केंद्र में हो और एकादश से शुक्र केंद्र में हो तो चतुर्मुख योग बनता है।
जिस जातक की कुंडली में चतुर्मुख योग होता है वह उच्च विद्या सम्पन्न होता है तथा कई कलाओं का ज्ञाता होता है। इसके साथ ही वह... read more
27
May
सर्प योग
जब केंद्र में एक भी शुभ ग्रह न हो तथा सभी पाप ग्रह केंद्र में हो तो सर्प योग बनता है।
सर्प येग में उत्पन्न् जातक दुःखी, परस्त्रीरत, कामी, छिछले स्वभाव का तुनक मिजाजी, क्रोधी एवं अदूरदर्शी होता है।
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04
Dec
लग्न
पंचम भाव का स्वामी यदि लग्न भाव में स्थित हो तो जातक विद्वान्, पुत्रवान, कुटिल एवं स्वार्थी होता है। जातक सदैव धनसंग्रह में लगा रहता है। जातक सत्कर्मो को करने वाला होता है।
द्वितीय भाव
पंचम भाव का स्वामी यदि द्वितीय भाव में स्थित हो तो जातक संपत्तिवान, धनी, बड़े परिवार... read more
15
Mar
सप्तम भाव में बुध का प्रभाव
कुंडली के सप्तम भाव से विवाह, स्त्री, व्यापार साझेदारी, झगडे इन सब बातों की जानकारी प्राप्त की जाती है। सप्तम भाव में स्थित बुध के प्रभाव से जातक स्पष्टवक्ता बुद्धिमान उदार होता है। सप्तम भाव में बुध के प्रभाव से जातक स्त्रियों से शीघ्र... read more
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