ज्योतिष क्या है?
सरल शब्दो में ज्योतिष शास्त्र को निम्न संस्कृत श्लोक से परिभाषित किया जा सकता है।
ज्योतिषां सूर्यादि ग्रहाणां बोधकं शास्त्रम्
उपरोक्त श्लोक का अर्थ है नवग्रहों एवं नक्षत्रों के विषय में विवरण देने वाले शास्त्र को ज्योतिष शास्त्र कहते हैं पृथ्वी इत्यादि ग्रह और सूर्य भी सोरमण्डल में परिक्रमा करते हैं। पृथ्वीक पर सूर्य और अन्य तारों की किरणें आती हैं। उनका प्रभाव मानव जीवनको स्पष्ट रूप से प्रभावित करता है। इन प्रभावों का अध्ययन ज्योतिश शास्त्र में किया जाता है।
ग्रहों की स्थिति के सूक्ष्म अध्ययन से प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के शुभशुभ और महत्वपूर्ण घटनाओं के विषय में समझा जा सकता है। ज्येतिष शास्त्र की संरचना में समय के साथ एंव मानव के क्रमिक द्वार अनेक बड़े परिवर्तण आ चुके हैं। अब ज्योतिष शास्त्रमे सम्पूर्ण खगोल शास्त्र, गणितीय परिकलपनाएं एंव फलित शास्त्र का अध्ययन होता है। इतने विराठ रूप में ज्योतिष शास्त्रका अध्ययन, विवेचन एंव उपयोगिता अनेक वर्तमान संदर्भो में महत्वपूर्ण है।
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