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गणेश चतुर्थी 2024: पंचांग, महाभारत के लेखक के रूप में गणेशजी का महत्व और पर्व की महिमा

गणेश चतुर्थी
Post Date: September 5, 2024

गणेश चतुर्थी 2024: पंचांग, महाभारत के लेखक के रूप में गणेशजी का महत्व और पर्व की महिमा

गणेश चतुर्थी का त्योहार भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस बार चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 03:01 बजे से शुरू होगी और 7 सितंबर को शाम 05:37 बजे समाप्त होगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर सूर्य उदय के साथ ही पूजा की जाए तो इसका फल अच्छा मिलता है। इसलिए इस वर्ष गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाई जाएगी।

गणेश चतुर्थी महत्व 2024:

गणेश जी जो भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं और कार्तिकेय के छोटे भाई हैं, वो बुद्धि, साकारात्मक और नये सुरुवात के देवता हैं जो विघ्नहर्ता कहलाते हैं। बद्रीनाथ के पास हिमालय के पहाड़ों पर एक व्यास गुफा है जहां श्री गणेश ने वेद व्यास के साथ मिलकर महाभारत नामक सबसे लंबी धार्मिक पाठ्य पुस्तक लिखी थी। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा के अनुसार भगवान गणेश ही महाभारत लिख सकते हैं तो इसलिए वेद व्यास जी ने गणेश को कहा महाभारत की पंक्तियां लिखने के लिए।

गणेशजी ने सहर्ष यह कार्य स्वीकार कर लिया, परन्तु एक शर्त रखी कि वे लिखने के दौरान कभी रुकेंगे नहीं, और यदि वेद व्यास जी रुकेंगे, तो वे लिखना बंद कर देंगे।

वेद व्यास ने भी एक शर्त रखी कि गणेशजी को केवल तब लिखना होगा जब वे पूरी तरह से समझ लें कि वे क्या लिख रहे हैं। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि लेखन में कोई त्रुटि न हो और यह सही तरीके से किया जाए। यही कारण है कि गणेश चतुर्थी के अवसर पर उन्हें विशेष रूप से पूजा जाता है, और उनके महाभारत लेखन की कथा हमें उनके महत्व की याद दिलाती है।

पूजा विधि और समापन

गणेश चतुर्थी का पर्व न केवल भगवान गणेश की महिमा का गुणगान करता है, बल्कि यह हमें उनके जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण संदेशों का भी स्मरण कराता है। महाभारत के लेखक के रूप में गणेशजी के धैर्य, विवेक और समर्पण से हमें जीवन में कठिनाइयों का सामना करने और सफलता प्राप्त करने की प्रेरणा मिलती है। इस पर्व के दौरान, हम भगवान गणेश की पूजा करते हुए उनसे ज्ञान, बुद्धि, और समृद्धि की कामना करते हैं।

गणेश चतुर्थी पूजा विधि 2024:

  1. मूर्ति स्थापना: घर या मंदिर में गणेशजी की मूर्ति को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर स्थापित करें।
  2. शुद्धिकरण और ध्यान: पूजा स्थान और स्वयं को शुद्ध करने के बाद भगवान गणेश का ध्यान करें।
  3. पंचोपचार पूजा: धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प और गंध अर्पित करें।
  4. मंत्र उच्चारण: “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें और गणेशजी के 108 नामों का उच्चारण करें।
  5. आरती: गणेशजी की आरती गाएं और अंत में उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
  6. प्रसाद वितरण: पूजा के बाद, प्रसाद को सभी भक्तों में बांटें और गणेशजी से जीवन में सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।

गणेश चतुर्थी की पूजा विधि को ध्यान में रखते हुए, इस पर्व का आनंद लें और भगवान गणेश की कृपा से अपने जीवन में हर विघ्न को दूर करने का संकल्प लें। यह दिन हमारे लिए उनकी आस्था और श्रद्धा के साथ जुड़ने का अवसर है, जो हमें हर कार्य में सफल होने की प्रेरणा देता है।

 

गणेश चतुर्थी महत्व 2024:

गणेश जी जो भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं और कार्तिकेय के छोटे भाई हैं, वो बुद्धि, साकारात्मक और नये सुरुवात के देवता हैं जो विघ्नहर्ता कहलाते हैं। बद्रीनाथ के पास हिमालय के पहाड़ों पर एक व्यास गुफा है जहां श्री गणेश ने वेद व्यास के साथ मिलकर महाभारत नामक सबसे लंबी धार्मिक पाठ्य पुस्तक लिखी थी। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा के अनुसार भगवान गणेश ही महाभारत लिख सकते हैं तो इसलिए वेद व्यास जी ने गणेश को कहा महाभारत की पंक्तियां लिखने के लिए।

गणेशजी ने सहर्ष यह कार्य स्वीकार कर लिया, परन्तु एक शर्त रखी कि वे लिखने के दौरान कभी रुकेंगे नहीं, और यदि वेद व्यास जी रुकेंगे, तो वे लिखना बंद कर देंगे।

वेद व्यास ने भी एक शर्त रखी कि गणेशजी को केवल तब लिखना होगा जब वे पूरी तरह से समझ लें कि वे क्या लिख रहे हैं। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि लेखन में कोई त्रुटि न हो और यह सही तरीके से किया जाए। यही कारण है कि गणेश चतुर्थी के अवसर पर उन्हें विशेष रूप से पूजा जाता है, और उनके महाभारत लेखन की कथा हमें उनके महत्व की याद दिलाती है।

पूजा विधि और समापन

गणेश चतुर्थी का पर्व न केवल भगवान गणेश की महिमा का गुणगान करता है, बल्कि यह हमें उनके जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण संदेशों का भी स्मरण कराता है। महाभारत के लेखक के रूप में गणेशजी के धैर्य, विवेक और समर्पण से हमें जीवन में कठिनाइयों का सामना करने और सफलता प्राप्त करने की प्रेरणा मिलती है। इस पर्व के दौरान, हम भगवान गणेश की पूजा करते हुए उनसे ज्ञान, बुद्धि, और समृद्धि की कामना करते हैं।

गणेश चतुर्थी पूजा विधि 2024:

  1. मूर्ति स्थापना: घर या मंदिर में गणेशजी की मूर्ति को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर स्थापित करें।
  2. शुद्धिकरण और ध्यान: पूजा स्थान और स्वयं को शुद्ध करने के बाद भगवान गणेश का ध्यान करें।
  3. पंचोपचार पूजा: धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प और गंध अर्पित करें।
  4. मंत्र उच्चारण: “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें और गणेशजी के 108 नामों का उच्चारण करें।
  5. आरती: गणेशजी की आरती गाएं और अंत में उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
  6. प्रसाद वितरण: पूजा के बाद, प्रसाद को सभी भक्तों में बांटें और गणेशजी से जीवन में सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।

गणेश चतुर्थी की पूजा विधि को ध्यान में रखते हुए, इस पर्व का आनंद लें और भगवान गणेश की कृपा से अपने जीवन में हर विघ्न को दूर करने का संकल्प लें। यह दिन हमारे लिए उनकी आस्था और श्रद्धा के साथ जुड़ने का अवसर है, जो हमें हर कार्य में सफल होने की प्रेरणा देता है।

गणेश चतुर्थी विसर्जन 2024:

पूरे भारत में 10 दिनों तक उत्सव मनाने के बाद भगवान गणेश का विसर्जन किया जाता है और इस बार विसर्जन की तारीख 17 सितंबर दिन मंगलवार है। गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है और यह त्योहार इस बात का प्रतीक है कि भगवान गणेश किसी व्यक्ति के जीवन से सभी बाधाओं को दूर करते हैं और किसी भी नए काम की शुरुआत भगवान गणेश की आराधना से होती है।

 

गणेश चतुर्थी का त्योहार भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस बार चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 03:01 बजे से शुरू होगी और 7 सितंबर को शाम 05:37 बजे समाप्त होगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर सूर्य उदय के साथ ही पूजा की जाए तो इसका फल अच्छा मिलता है। इसलिए इस वर्ष गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाई जाएगी।

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