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अज्ञात ज्ञान :- श्री श्री रवि शंकर

Post Date: July 29, 2020

अज्ञात ज्ञान :- श्री श्री रवि शंकर

पिछले सप्ताह गुरुजी का आदेश था कि सभी अपने अपने ज्ञान-पत्र बनायें। और गुरुदेव अटल रहे। इस सप्ताह उन्होंने ज्ञान-पत्र नहीं भेजा। इनका कहना है कि ज्ञान छात्रों को लोग पढ़ते हैं और भूल जाते हैं। इसलिए इस बार सब अपना ज्ञानपत्र लिखें। वे दूसरों के ज्ञान-पत्र पढ़ना चाहते हैं। भक्तों को ज्ञान-पत्रों में से एक…..

“आप अभी तक हताश क्यूँ?”

तुम्हारे पास एक प्याला है और तुम उससे पीते हो….प्रेम, आनन्द, शाति और संतुष्टि। “जीवन जीने की कला” कोर्स के उपरान्त मानो तुम्हारा प्याला अब छोटा पड़ जाता है। क्योंकि यह उत्तम पेय तुम्हें तुम्हारे प्याले के आकार से कहीं ज़्यादा मिल जाता है। तुम बहुत खुश हो, सर्वत्र आनन्द ही आनन्द है। किन्तु कुछ समय बाद वापस थोड़ा क्रोध या निराशा होने लगती है।
ऐसा क्यों?

क्या तुमने सेवा की है??? तुम्हारा प्याला तुम्हारे लिए अब बहुत छोटा हो गया है। तुम्हें कुछ और चाहिए भी है, और तुम्हारे लिए वह आवश्यक भी है। साधना और सत्संग से प्याला भर जाता है किन्तु सेवा तुम्हें एक नया और बड़ा प्याला दिलाती है। कुछ ही घन्टों की सेवा तुम्हारी चेतना को समाधि में ले जाती है। सेवा करो। अपने प्याले के आकार को बढ़ाओ। साधना और सत्संग से इसे भरो। फिर पीयो और मस्त हो जाओ। क्यों, ठीक है न?

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